देहरादून। कुंभ महापर्व के आयोजन को लेकर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दूरदर्शी सोच और आशंका सच होने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हीं की भाषा बोलने लगे हैं। कोरोना संकट की विकरालता को देखते हुए मोदी ने हाल ही में कुंभ पर्व को प्रतीकात्मक रखने का आग्रह संतों से किया है। दिलचस्प बात यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में यह आशंका जाहिर कर दी थी कि अगर कुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ पर काबू न किया गया तो कुंभ कोरोना का सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है। उनकी यह आशंका सो फीसद सच साबित होती दिख रही है।
दिलचस्प बात यह है कि नये सीएम तीरथ सिंह रावत ने पद संभालने के साथ ही कुंभ में किसी भी तरह की पाबंदी लगाने से इनकार करते हुए पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया था। बाद में उनके सुर रोज बदलते नजर आये और उनको भी मजबूरी में त्रिवेंद्र के कदमों का ही अनुसरण करना पड़ा, लेकिन ‘अब पछताय होत क्या जब कोराना चुग गया खेत’।
मुंगेरी लाल के हसीन सपनों में न खोकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए कुंभ पर्व 2021 को दिव्य और भव्य तरीके से आयोजित करने की ठोस रूपरेखा तैयार की थी। उन्होंने कुंभ पर्व को सीमित करने और सभी अखाड़ों के संतों के शाही स्नान को लेकर वृहद योजना बनाई थी। जिसके चलते कोरोना संक्रमण काल में कुंभ पर्व बेहद की शानदार और सुरक्षित तरीके से सकुशल संपन्न कराने की योजना थी।
त्रिवेंद्र ने हरिद्वार के सभी व्यापारियों से इस संकट की घड़ी में धैर्य रखने का अनुरोध किया था और सरकार का सहयोग करने की अपील की थी। हालांकि व्यापारी वर्ग खासा नाराज हुआ था और कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर त्रिवेंद्र की कमजोर इच्छा शक्ति की बात चर्चाओं में आई। अब सच का सामना होने पर सभी योजनाकार बगलें झांकने में लगे हैं और उनसे न तो कुछ कहते बन पा रहा है और न ही कुछ कर पा रहे हैं।
उधर अपने इरादों पर दृढ़ रहने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों के जीवन को सर्वोपरि रखा। उन्होंने उत्तराखंड की जनता के जीवन को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित बचाकर रखना ही अपनी पहली प्राथमिकताओं में रखा। यह बात प्रदेश के लोगों को अब समझ में आ रही है। यही कारण रहा कि वह कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर संत समाज, व्यापारी वर्ग के निशाने पर रहे और भाजपा के ही विधायक मंत्री उनसे नाराज दिखे।
अब कुंभ पर्व अपने समापन की ओर अग्रसर है, लेकिन कोरोना के चलते हरिद्वार के हालात पूरी तरह से बिगड़ चुके है। कोरोना संक्रमण से संतों की मौत के बाद संत समाज भी सहमा हुआ है। निरंजनी अखाड़े ने तो कुंभ पर्व के समापन की घोषणा भी कर दी। ऐसे में अब प्रधानमंत्री का आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से फोन पर बात करते हुए कुंभ पर्व के आयोजन को प्रतीकात्मक रखने की अपील करना ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दूरदर्शी सोच को प्रमाणित करता है।
गौरतलब है कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अति उत्साह में सभी श्रद्धालुओं को कुंभ पर्व में हरिद्वार आमंत्रित किया और बाद में एसओपी का हवाला देकर कुंभ को सीमित करने का प्रयास किया। इससे हरिद्वार का व्यापारी वर्ग अब ज्यादा नाराज है। एक तो कारोबार को लेकर उनकी उम्मीदें टूट गईं। रही सही कसर हरिद्वार में तेजी से फैलते जा रहे कोरोना संक्रमण ने पूरी कर दी। ऐसे में हरिद्वार ‘कोरोना कुंभ’ की चपेट में चुका है तो इसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं।, आने वाला वक्त ही इस सवाल का सही जवाब देगा।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत किसी भी बात को स्पष्ट शब्दों में कहने में यकीन रखते है। जनता को भ्रमित करने की बजाए जनहित के कार्यों को धरातल पर उतारने में माहिर हैं। बेहद ही कम शब्दों में बोलकर ज्यादा काम करने की उनकी खूबी सबसे जुदा है। यही कारण रहा कि वह अपने ही भाजपा और संघ परिवार में अकेले पड़ गए, लेकिन उत्तराखंड के हितों को सर्वोपरि रखा।