आरोपों के घेरे में न्यायपालिका के सुप्रीमो!

सुप्रीम कोर्ट में असामान्य सुनवाई

  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, गंभीर खतरे में है न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • सुप्रीम कोर्ट में ‘सार्वजनिक महत्व के एक बड़े मामले’ पर हुई विशेष सुनवाई 
  • न्यायमूर्ति गोगोई पर एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर हुई सुनवाई 
  • चीफ जस्टिस रंजन ने आरोपों को किया खारिज, कहा— उनके दफ्तर को बेकार करने की साजिश
  • जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की रिपोर्टिंग में मीडिया से संयम बरतने को कहा 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर आज विशेष सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस आफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ आरोपों पर अन्य जजों की पीठ सुनवाई करेगी।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता ‘बेहद गंभीर खतरे’ में है। इस दौरान चीफ जस्टिस ने आरोपों को निराधार बताते हुए इसे अगले हफ्ते कुछ अहम मामलों की होने वाली सुनवाई से उन्हें रोकने की कोशिश करार दिया।
विशेष सुनवाई की वजह बताते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा, ‘मैंने आज अदालत में बैठने का असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं।…न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।’
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि आरोपों के पीछे कोई बड़ी ताकत होगी। वे सीजेआई के कार्यालय को बेकार करना चाहते हैं। वह अगले हफ्ते महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाले हैं और यह उन्हें उन मामलों की सुनवाई से रोकने की कोशिश है। 
उन्होंने कहा, ‘मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना किसी भय के न्यायपालिका से जुड़े अपने कर्तव्य पूरे करता रहूंगा।’ बता दें कि चीफ जस्टिस अगले हफ्ते राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका, पीएम मोदी की बॉयोपिक के रिलीज के साथ-साथ तमिलनाडु में वोटरों को कथित तौर पर रिश्वत देने की वजह से वहां चुनाव स्थगित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले हैं। हालांकि, तमिलनाडु में वेल्लोर को छोड़कर सभी लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है।
उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा, ‘यह अविश्वसनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए।’ आरोपों से आहत न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका में 20 साल की निःस्वार्थ सेवा का यह इनाम मिला है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में 20 सालों की निःस्वार्थ सेवा के बाद उनके पास 6.8 लाख रुपये बैंक बैलेंस हैं और पीएफ में 40 लाख रुपये हैं। जब उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला तो मेरे खिलाफ आरोप लगाने के लिए इस महिला को खड़ा किया गया।
सीजेआई ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों ने एक महिला द्वारा लगाए गए अपुष्ट आरोपों को प्रकाशित किया। महिला की आपराधिक पृष्ठभूमि है और वह अपने अपराध की वजह से चार दिनों तक जेल में रह चुकी है। पुलिस भी महिला के व्यवहार को लेकर उसे चेतावनी दे चुकी है।
सुनवाई में शामिल पीठ के अन्य दो जजों जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने मीडिया से कहा कि वह जिम्मेदारी और सूझबूझ के साथ काम करे और सत्यता की पुष्टि किए बिना महिला के शिकायत को प्रकाशित न करे। उन्होंने कहा, ‘हम कोई न्यायिक आदेश पारित नहीं कर रहे हैं लेकिन यह मीडिया पर छोड़ रहे हैं कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी से काम करे।’
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को देखते हुए हम सभी न्यायपालिका की स्वंतत्रता को लेकर चिंतित हैं।…इस तरह के अनैतिक आरोप लगाने से न्यायपालिका पर से आम जनता का विश्वास डगमगाएगा।’

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