नहीं रुका नकली मुद्रा का चलन
- रिजर्व बैंक ने रोकी दो हजार रुपये के नोटों की छपाई, आरटीआई से हुआ खुलासा
- इससे 2000 के नोट चलन में हुए कम और 500 रुपये के नोट की संख्या बढ़ी
- नोटबंदी के बाद चलन में आया था 2000 रुपये का नोट, अब कम हो रही है संख्या
- वर्ष 2018-19 में 2000 रुपये के नकली नोटों की संख्या में 21.9% का इजाफा
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2000 रुपये के नोटों की छपाई रोक दी है। चालू वित्त वर्ष में 2000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापा गया है। आरबीआई ने ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की ओर से दायर एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद पहली बार 2000 रुपये का नोट पेश किया था। कालेधन पर लगाम के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट को अचानक बंद करने के बाद 2000 रुपये का नोट चलन में लाया गया। हालांकि इसको लेकर आलोचना भी हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि अधिक मूल्य के इस नोट से एक बार फिर कालेधन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही 2000 रुपये के नोट छुट्टे की दिक्कत भी पैदा करते हैं।
आरबीआई ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में 2000 रुपये के 354.29 करोड़ नोट छापे गए, जबकि 2017-18 में 11.15 करोड़ नोटों की छपाई हुई। 2018-19 में यह संख्या गिरकर 4.66 करोड़ रह गई। चालू वित्त वर्ष में 2000 का एक भी नोट नहीं छापा गया है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान ही 2000 रुपये के नोटों का चलन काफी कम हो गया था। 2018-19 में चलन में रहे 2000 रुपये के नोटों की संख्या में 7.2 करोड़ की कमी दर्ज की गई। पिछले वित्त वर्ष में नई 2000 की करंसी की संख्या 336 करोड़ से घटकर 329 करोड़ पीस रह गई। वहीं, 500 रुपये के नोट की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1546 करोड़ के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 2151 करोड़ पीस थी।
रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, इनके डुप्लिकेशन के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद इन्हें जारी किया था। 500 रुपये के नए डिजाइन वाले नोट 2017 में जारी हुए थे। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में इसकी नकल में 121 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। वहीं 2000 रुपये की करंसी के मामले में यह आंकड़ा 21.9 पर्सेंट है। करंसी जालसाज 200, 500 और 2000 रुपये के नए नोटों की नकल के तरीके तलाश रहे हैं। सरकार ने 200 रुपये के नए नोट 2017 में पेश किए थे। इस वर्ष इसके 12,728 जाली नोट मिले, जबकि पिछले साल सिर्फ 79 ही पकड़े गए थे।