एक परिवार ने हजारों लोगों से ठगे 100 करोड़!

    लालच बुरी बलाय

    • फॉरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर पोंजी स्कीम से धोखाधड़ी मामले का खुलासा होने पर ठगी का शिकार बने लोगों में मचा हड़कंप
    • इस स्कीम में फंसकर उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों के हजारों लोग बने मूर्ख
    • दुबई में ले रखा था सर्वर, जिसे इनका एक साथी वहीं कर रहा था संचालित, पिता, पत्नी से लेकर बहन-बहनोई भी इस गोरखधंधे में थे शामिल

    नोएडा। फॉरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर पोंजी स्कीम के जरिये उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों के हजारों लोगों से करीब 100 करोड़ की ठगी का मामला सामने आने से हड़कंप मचा है। इसके लिए ठगों दुबई में सर्वर ले रखा था, जिसे इनका एक साथी वहीं बैठकर संचालित कर रहा था।
    इस मामले में सेक्टर-20 थाने में नौ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें न्यू एरा वैल्थ मैनेजमेंट प्रालि के दोनों डायरेक्टर भाई महेंद्र वर्मा व संदीप वर्मा, उनके पिता चरण सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। महेंद्र की पत्नी राजेश, उनके बहनोई पवन व बहन मंजू के अलावा मौसी का दामाद संजय वर्मा भी इन नौ आरोपियों में शामिल हैं। अन्य दो आरोपी किशोर कुमार व सुभाष झा हैं।
    पुलिस के अनुसार ठगे गये निवेशकों ने पूछताछ में बताया कि महेंद्र वर्मा की पत्नी राजेश पहले गुड़गांव में किसी बैंक में काम करती थी। इस दौरान वह डॉलर की ट्रेडिंग का काम करती थी। वहीं पर उसने फॉरेक्स ट्रेडिंग करना सीखा। महेंद्र ने राजेश से लव मैरिज की थी। शादी के बाद राजेश ने ही फॉरेक्स ट्रेडिंग का उसे आइडिया दिया। जिसके बाद उसने भाई के साथ मिलकर कंपनी खोलकर इस धंधे को शुरू किया। पोंजी स्कीम के तहत इस धंधे से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए बड़े होटलों में आयोजित की जाने वाली कॉन्फ्रेंस में इनके पिता चरण सिंह भी बराबर शामिल होते थे।
    इसके अलावा वह ऑफिस में बैठकर निवेशकों को पैसा लगाने के लिए तैयार करने का काम भी करते थे। इनका बहनोई पवन इस काम में शादी से पहले से ही इनसे जुड़ा हुआ था।
    आईआईटी ग्रेजुएट बताया जा रहा पवन इस काम में इनकी तकनीकी मदद किया करता था। बहन से शादी होने के बाद उसे इन लोगों ने बेंगलुरू में शिफ्ट कर दिया। संजय वर्मा इनकी मौसी का दामाद है जो इनका सबसे बड़ा एजेंट है। इसने ग्रेटर नोएडा व बुलंदशहर के कई लोगों का पैसा इस पोंजी स्कीम में लगवाया था।
    गौरतलब है कि भारत में दूसरे देशों की करेंसी की ट्रेडिंग करना अवैध है। हालांकि अमेरिकी डॉलर, पाउंड, यूरो समेत अन्य देशों की करंसी को भारतीय रुपये में रजिस्टर्ड ब्रोकर के जरिये ट्रेडिंग जरूर की जा सकती है। इसको देखते हुए आरोपियों ने अपना सर्वर दुबई में लगाकर वेबसाइट बनाई, लेकिन कंपनी भारत में खोली। कंपनी ने निवेशकों से भारतीय करेंसी ली, लेकिन निवेश डॉलर में किया। इस तरह करीब 100 करोड़ रुपये की ठगी के आरोपी दोनों भाइयों ने इस काम में अपने पूरे परिवार को लगा रखा था। जिनमें मुख्य आरोपी दोनों भाइयों में से एक की पत्नी, उनके पिता, बहन-बहनोई समेत एक अन्य रिश्तेदार भी शामिल थे।
    निवेशकों के अनुसार आरोपियों ने बाद में फॉरेक्स एक्सचेंज में पैसा लगाना ही बंद कर दिया और सर्वर के माध्यम से वेबसाइट में फर्जीवाड़ा करके निवेश की हुई रकम को दिखा देते थे। आरोपियों ने ज्यादातर निवेशकों से पैसा कैश में लिया। नोटबंदी के दौरान कंपनी में निवेशकों ने सबसे ज्यादा निवेश किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट नवल किशोर के अनुसार, फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर का सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से रजिस्टर होना जरूरी है। बिना सेबी के रजिस्ट्रेशन के इस तरह का काम अवैध है। रजिस्टर्ड ब्रोकर के लिए भी बेस करेंसी को भारतीय रुपये के रूप में ही निवेश करवाना होगा।
    आरोप है कि दोनों भाइयों ने कंपनी में निवेश किए जाने वाले पैसे को फॉरेक्स एक्सचेंज में न लगाकर हवाला के जरिए दुबई के एक बैंक में ट्रांसफर कर दिया। निवेशकों के पैसे से ही आरोपियों ने यू-ट्यूब पर एक न्यूज चैनल भी शुरू किया, जिसके उद्घाटन में कई बड़े राजनेता भी शामिल हुए थे। बाद में आरोपियों के भाग जाने पर इस चैनल का संचालन इस साल जून में बंद कर दिया गया। इस चैनल के 69 हजार से अधिक सब्सक्राइबर हैं। आरोपियों ने निवेशकों के पैसे से ही ऑडी, मर्सिडीज, फॉर्च्युनर जैसी महंगी गाड़ियां खरीदी थीं। कंपनी में 22 लाख रुपये निवेश करने वाले ग्रेटर नोएडा निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि आशंका है कि आरोपी यहां दफ्तर बंद कर बेंगलुरू में अपने बहनोई के पास भाग गए हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि अब वह परिवार समेत दुबई भाग गए हैं। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

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