रॉन्ग साइड ड्राइविंग : बीते वर्ष रोज मरे 24 लोग!

रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री की रिपोर्ट का सच

  • वर्ष 2018 में इस तरह के हादसों में सबसे ज्यादा 1,299 मौतें यूपी में हुईं और 487 मौतों के साथ गुजरात दूसरे नंबर पर
  • बीते साल में कुल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई, यह आंकड़ा 2017 के मुकाबले 3,500 ज्यादा
  • हेल्मेट न पहनने से 43,610 की मौत, सीटबेल्ट न बंधे होने से मरे 15 हजार

नई दिल्ली। हम भारतीयों को शायद सड़कों पर चलने का शऊर ही नहीं है। सड़क हादसों से जुड़े आंकड़े तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। रॉन्ग साइड से ड्राइविंग की वजह से वर्ष 2018 में हर दिन 24 लोगों की मौत हुई। रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने सड़क हादसों को लेकर रिपोर्ट जारी की, जो बताती है कि किस तरह यातायात नियमों का उल्लंघन जानलेवा साबित हो रहा है फिर भी लोग सबक नहीं ले रहे।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में रॉन्ग साइड में गाड़ी चलाने की वजह से हर दिन 24 लोगों की मौत हुई, जबकि पार्क की हुई गाड़ियों से टक्कर की वजह से होने वाले हादसे में 4,800 लोगों की मौत हुई। वैसे 2018 में रॉन्ग साइड ड्राइविंग की वजह से होने वाले हादसों में मरने वालों की संख्या 2017 के मुकाबले करीब नौ प्रतिशत कम रही, लेकिन खड़ी हुई गाड़ी से टक्कर की वजह से होने वाले हादसे 2017 के मुकाबले दोगुने हो गए।
ट्रैफिक सेफ्टी एक्सपर्ट का कहना है कि नेशनल हाइवे तक पर लोगों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए देखा जा सकता है। इससे वे खुद को तो खतरे में डालते ही हैं, दूसरों की जान भी जोखिम में डालते हैं। रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि सड़क हादसों में 2018 में 2017 के मुकाबले ज्यादा लोगों की मौत हुई। 2018 में कुल सड़क हादसों में 1.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई जो 2017 के आंकड़े से 3,500 ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार रॉन्ग साइड ड्राइविंग से देश में सबसे ज्यादा मौत यूपी में हुई। ऐसे हादसों में होने वाली मौतों में करीब एक चौथाई तो सिर्फ यूपी में हुईं, जहां 2,553 लोग मारे गए। बिहार और पंजाब में भी ऐसे हादसों में मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। नेशनल हाइवे के किनारे शराब की दुकानों के खिलाफ कोर्ट जाने वाले हरमन सिंह सिद्धू कहते हैं, ‘रोड से जुड़ी एजेंसियां सर्विस रोड ही नहीं बनातीं और डिजाइन में भी गड़बड़ी रहती है। इसीलिए आप यातायात नियमों का खुलकर उल्लंघन देखते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए जिस तरह का तंत्र मौजूद है, उसकी खराब स्थिति समस्या को और बदतर बना देती है।’
रॉन्ग साइड ड्राइविंग से जानलेवा हादसे हो सकते हैं, इसी को देखते हुए सरकार ने इस अपराध को ‘डैंजरस ड्राइविंग’ की श्रेणी में डाल दिया है और संशोधित मोटर वीइकल ऐक्ट में इस तरह के उल्लंघनों पर जुर्माने की रकम काफी बढ़ा दिया है। पहली बार रॉन्ग साइड ड्राइविंग करते हुए पकड़े जाने पर अब कम से कम 1000 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक जुर्माना और छह महीने जेल की सजा तय की गई है। दोबारा यही गलती करने पर 10 हजार रुपये तक जुर्माना और छह महीने से लेकर एक साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।
पार्क की हुईं गाड़ियों से टक्कर की वजह से होने वाले हादसों में मरने वालों की संख्या के लिहाज से भी यूपी सबसे खतरनाक है। 2018 में ऐसे हादसों में यूपी में 1,299 लोगों की मौत हुई। दूसरे नंबर पर 487 मौतों के साथ गुजरात है। अराइव सेफ नाम का एक गैर-लाभकारी संगठन चलाने वाले हरदीप सिंह कहते हैं, ‘हमारे पास बहुत मुश्किल से हाइवे की पॉलिसी से जुड़ा कोई सिस्टम है। इसके अलावा सड़कों पर पेट्रोलिंग की स्थिति भी बहुत खराब है। ज्यादातर मामलों में ड्राइवर सड़क के बीच में ही गाड़ी पार्क कर देते हैं और दूसरी गाड़ियों के लिए कोई वॉर्निंग साइनेज तक भी नही रखते।’
रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष 9,349 ड्राइवरों की मौत की वजह सीट बेल्ट नहीं बांधना था। यह आंकड़ा तो सिर्फ ड्राइव करने वालों की मौत का है। 2018 के दौरान हादसे के वक्त सीटबेल्ट नहीं बंधे होने की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या तो 15 हजार से भी ज्यादा है।
इसी तरह हेल्मेट न पहनने के कारण पिछले साल 28,250 टू-व्हीलर ड्राइवरों की मौत हुई। इसके अलावा, 15,364 ऐसे लोगों की मौत हुई जो दोपहिया गाड़ी पर पीछे की सीट पर बैठे थे लेकिन हेल्मेट नहीं लगाए थे। यानी हेल्मेट नह पहनने की वजह से पिछले साल 43,610 लोगों की मौत हुई। जो एक चिंताजनक आंकड़ा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here