मंगसू घास की दस्तक से हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों पर मंडराया खतरा

गोपेश्वर से महिपाल गुसाईं।

केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत तुंगनाथ के साथ ही हिमालयी क्षेत्रों के तमाम बुग्याली क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले फूलों का दुश्मन पॉलीगोनम (मंगसू घास) तेजी के साथ बुग्यालों में अपना कब्जा जमाने लगा है। जिससे बुग्यालों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले दुर्लभ प्रजाति के फूलों एवं जड़ी-बूटियों को खतरा उत्पन्न होने लगा है। इसे वनस्पति वैज्ञानिक बुग्यालों के लिए खतरनाक मान रहे हैं।
गौरतलब है कि अब तक केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेंचुरी एरिया एवं उच्च हिमालय क्षेत्रों के बुग्यालों में पॉलीगोनम मंगसू घास नहीं उगती थी। पाॅलीगोनम को प्राकृतिक रूप से उगने वाली घासों, फूलों एवं अन्य वनस्पतियों के लिए घातक माना जाता हैं। पिछले कुछ दशकों से पहाड़ी क्षेत्रों के निचले हिस्सों में तो यह तेजी के साथ पांव पसार चुका हैं। किंतु उच्च स्थानों परबुग्यालों में इस की दस्तक नही थी। किंतु अब मंगसू घास बुग्यालों में भी दस्तक देने लगी हैं। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में पाॅलीगोनम घास की झाड़ियां उगने लगी हैं। जिसे बुग्यालों में उगने वाली प्राकृतिक घासों, फूलों, जड़ी-बूटी के लिए शुभ नही माना जा रहा है।

इस संबंध में प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने बताया कि पिछले दिनों जब वह प्रभाग के वन विभाग की 6 सदस्यीय टीम के साथ तुंगनाथ क्षेत्र के भ्रमण पर गये थे तो टीम को पॉलीगोनम के पौधे उगे मिले। झाड़ीनुमा पॉलीगोनम पर सफेद फूल खिलते हैं, और वह यहां अपना दायरा बढ़ा रहा है। बताया कि करीब 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नंदीकुंड बुग्याल की तलहटी और आसपास के क्षेत्र में भी दूर-दूर तक पॉलीगोनम पनप रहा है। बुग्यालों में इस की आमद को देखते हुए उन्होंने इसके उन्मूलन के लिए अपने मैनेजमेंट प्लान में भी दर्ज कर लिया है। बताया कि अभी तक प्रभाग के सेंचुरी एरिया में कहीं भी पॉलीगोनम नहीं था। वर्ष 2010 में दस सालों के लिए बने मैनेजमेंट प्लान में कहीं भी पॉलीगोनम का जिक्र नहीं है, लेकिन इस बार कई बुग्याल क्षेत्रों में पॉलीगोनम की पैदावार देखी गई है। इसको उखाड़ने के लिए वृहद योजना बनाई जा रही है। ताकि प्राकृतिक रूप से यहां पर उगने वाली वनस्पतियों को बचाया जा सके।

फूलों की घाटी में भी बना जड़ी-बूटियों का दुश्मन

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में भी पॉलीगोनम फूलों व तमाम जड़ी-बूटी के पौधों का दुश्मन बनने लगा हैं। फूलों की घाटी में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर अब तक पॉलीगोनम की झाड़ियां अपना कब्जा जमा चुकी है। और तेजी के साथ फैलती ही चली जा रही हैं। जिससे घाटी के फूलों एवं जड़ी-बूटियों के पौधों पर अस्तित्व का संकट खड़ा होने लगा हैं। इसकी विशेषता यह है कि झाड़ीनुमा फैलाव के कारण इसके इर्द-गिर्द अन्य प्रजातियों के फूलों की  प्रजाति नहीं उग पाती है।  2011 से नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रभाग की ओर से पॉलीगोनम के उन्मूलन पर लाखों रुपये  खर्च किए गये बावजूद इसके इसे नष्ट नही किया जा सका है। जोकि वनस्पति वैज्ञानिकों के बीच चिंता का विषय बनने लगा हैं।

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