उत्तरकाशी के युवा सुधीर ने नौकरी गंवाने के बाद स्वरोजगार की लिखी इबारत
सब्जियों के उत्पादन से कर रहे हैं अच्छी आमदानी
देहरादून। कोरोना महाकाल में कई मेहनतकश उत्तराखंडी प्रवासियों ने संकट की विकट घड़ी को अवसर में बदल दिया। ऐसी ही एक सकारात्मक कहानी की खूबसूरत इबारत लिखी है, उत्तरकाशी के एक युवा ने। इतना ही नहीं पहाड़ी युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए सीख दी है। घर से सात समुंदर और कोसों दूर मामूली नौकरी के लिए भटकने वाले युवाओं के लिए एक नजीर पेश की है। कभी वो मलेशिया के एक होटल में नौकरी करने वाले सुधीर गौड़ अपने गांव में सब्जियों की खेती कर रहे हैं। सेब का बगीचा भी लगाया है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। सुधीर नौगांव के कंडारी गांव के निवासी हैं। पिछले साल मार्च में कोरोना विस्फोट के कारण उनकी नौकरी चली गई। गांव लौटे तो लंबे समय तक कोरोना का प्रकोप रहने से उन्होंने घर में ही स्वरोजगार की इबारत लिख दी। 33 साल के सुधीर का कहना है कि नौकरी छुटने के बाद वह परेशान थे। गांव के आने के बाद रोजगार के लिए पलान तैयार किया। गांव में ही 12 नाली बंजर जमीन को आबाद किया। शिमला मिर्च, कद्दू, बंद गोभी, मक्की, टमाटर और बैंगन की खेती की। जिससे अच्छी आय हुई। नगदी फसल के सफल नतीजों से उत्साहित होकर सुधीर ने सेब के पेड़ों का बगीचा भी लगाया है। यह सैक्सेसफुल कहानी अन्य युवाओं के लिए प्रेरणादायी है।