उत्तराखंड : सुप्रीम कोर्ट की सीईसी कमेटी करेगी राजाजी-कॉर्बेट में गड़बड़ियों की जांच

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण की जांच करेगी। साथ ही कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी समेत मोरघट्टी व पाखरों रेंज में हुए अवैध पातन और निर्माण कार्यों की भी जांच की जाएगी। टीम टाइगर सफारी के लिए हासिल की गई स्वीकृतियों से संबंधित पत्रावलियां भी खंगालेगी।
गौरतलब है कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण और कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस संबंध में पीवी जयकृष्णन की अध्यक्षता में एक सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) का गठन किया गया है।
टीम निरीक्षण के लिए कोटद्वार पहुंच चुकी है। टीम 28 से 30 तारीख तक राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी। इस बाबत प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल की ओर से निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को तमाम पत्रावलियों के साथ मौके पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी उन तमाम जगहों पर मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी, जहां अवैध रूप से पेड़ काटे जाने और अवैध निर्माण की शिकायत है। कमेटी सबसे पहले निर्माणाधीन लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निरीक्षण करेगी। इस मामले में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से याचिका दाखिल करने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने एक समिति बनाई थी। समिति ने पिछले दिनों दोनों राष्ट्रीय उद्यानों का दौरा किया था। वहां का नजारा देखने के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुनिया की सर्वाधिक घनत्व वाली बाघ निवास स्थली में चल रहे निर्माण को बिना किसी सक्षम मंजूरियों और वैधानिक प्रावधानों व अदालती आदेशों का उल्लंघन कर अंजाम दिया जा रहा है जो बड़ी प्रशासनिक विफलता के रूप में देखा जा रहा है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसका गंभीरता से संज्ञान लिया है। 

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