‘हाथी’ से फिर ‘गधे’ पर बैठे श्रीमान नौटियाल!

सीएम ने फिर किया सस्पेंड

  • समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल फिर निलंबित
  • शासन ने बहाल कर दी थी नौटियाल की सेवा, लेकिन वह आदेश किया निरस्त
  • मुख्यमंत्री के संज्ञान में आते ही तुरन्त हुई कार्यवाही

देहरादून। छात्रवृत्ति के अरबों के घोटाले के ‘सरताज’ समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल एक बार फिर ‘हाथी’ से ‘गधे’ पर सवार हो गये हैं। उनकी निलंबन बहाली के आदेश को त्रिवेंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया है। श्रीमान गीताराम नौटियाल छात्रवृत्ति घोटाले में मुख्य आरोपी हैं।
उत्तराखंड में छात्रवृत्ति घोटाले में निलंबित किए गए समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल को बड़ी राहत मिली थी। शासन ने उनकी सेवा बहाल कर दी थी, लेकिन जब उनकी निलंबन बहाली के आदेश मीडिया में चर्चाओं का केंद्र बने और सरकार के इस फैसले की ओर उंगलियां उठीं तो भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के मुखिया को शासन का यह फैसला हजम नहीं हुआ और उन्होंने आज शुक्रवार को श्रीमान गीताराम नौटियाल को फिर से सस्पेंड करते हुए शासन के फैसले को निरस्त कर दिया है।
गौरतलब है कि न्यायालय से जमानत पर रिहा नौटियाल को छह महीने बाद शासन ने उनके मूल पद पर सवैतनिक तैनाती दे दी थी। उनकी बहाली को अदालत से आने वाले अंतिम निर्णय के अधीन रखा गया है। नौटियाल को समाज कल्याण निदेशालय हल्द्वानी में तैनाती दी थी।
सचिव समाज कल्याण एल फैनई ने नौटियाल की बहाली के आदेश जारी कर दिए थे। आदेश के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने नौटियाल पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। यह मुकदमा 31 अक्टूबर 2019 को थाना सिडकुल हरिद्वार में दर्ज हुआ था। एसआईटी ने 19 नवंबर 2019 को शासन को नौटियाल पर केस दर्ज होने की जानकारी दी। सूचना प्राप्त होने के बाद नौटियाल को बैक डेट से निलंबित कर दिया गया था।
नौटियाल को एक नवंबर 2019 को देहरादून में जिला न्यायालय में पेश कर 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा पर जेल भेज दिया गया था। इस दौरान नौटियाल ने उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दी। उन्हें 10 दिसंबर 2019 को अदालत से जमानत मिल गई। नौटियाल ने 30 दिसंबर 2019 को शासन से अपनी बहाली का अनुरोध किया। उत्तरांचल सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 के प्रावधानों के तहत नौटियाल को सशर्त सेवा में बहाल करने का निर्णय ले लिया गया था। शासन का यह फैसला मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ था।

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