गंगोत्री ग्लेशियर में गर्म हवाओं का प्रतिशत ज्यादा

  • राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
  • ग्लेशियर पर अध्ययन के लिए भोजवासा में ऑब्जर्वेटरी स्थापित की
  • गर्म हवाओं से ग्लेशियर के पीछे खिसकने का खतरा

देहरादून। गंगोत्री ग्लेशियर में गर्म हवाओं का प्रतिशत ज्यादा और ठंडी हवाओं का प्रतिशत कम हो गया है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में इसका खुलासा किया है। नीचे से ऊपर की ओर बहने वाली गर्म हवाओं का अनुपात 60 प्रतिशत है। जबकि ऊपर से नीचे की ओर बहने वाली ठंडी हवाएं 40 प्रतिशत है। जो कि बर्फ को ज्यादा तेजी से पिंघलाने में मदद करती है।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए केटाबेटिक एंड एनाबेटिक एनालिसिस में इसका भी पता चला है कि गर्म हवाओं से गलेशियर तेजी से पिघल रहा है और पीछे खिसकने का अनुपात भी बढ़ता है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की ओर से गंगोत्री ग्लेशियर पर अध्ययन के लिए गोमुख से पहले भोजवासा में ऑब्जर्वेटरी स्थापित की गई है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. मनोहर अरोड़ा ने बताया कि हाल ही में गंगोत्री क्षेत्र में बहने वाली हवाओं पर अध्ययन किया गया है। इसके लिए केटाबेटिक एंड एनाबेटिक एनालिसिस किया गया है। जिसमें हवा की गति और उसकी प्रकृति के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। उन्होंने बताया कि हवा की गति और प्रकृति का ग्लेशियर पर तेजी से प्रभाव पड़ता है। हवा तेज चलने से ग्लेशियर ज्यादा तेजी से पिंघलते हैं। साथ ही घाटी में नीचे से ऊपर की ओर बहने वाली गर्म हवाएं ग्लेशियर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
उन्होंने बताया कि ग्लेशियर से वर्ष भर आने वाले पानी का स्रोत 80 से 82 प्रतिशत ग्लेशियर के पिंघलने से मिलता है, जबकि स्नो फॉल से महज तीन प्रतिशत और बारिश से 15 प्रतिशत मिलता है। वैज्ञानिक डाॅ. मनोहर आरोड़ा के अनुसार गंगोत्री में स्थापित आब्जर्वेटरी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से सितंबर के अंत तक पिछले 15 सालों में जल का प्रवाह 800 से 1000 मिलियन क्यूबिक मीटर तक रहा है। ऐसे में फिलहाल ग्लेशियर से मिलने वाले जल को लेकर संकट के संकेत नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here