देहरादून। जर्मनी की उड़ान भरने से पहले प्रेमचंद अग्रवाल ने शहरी विकास विभाग में 74 कर्मियों के तबादले कर दिए। हालांकि मुख्यमंत्री ने इन तबादलों पर रोक लगा दी है, लेकिन कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़े किये हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में अजीब सा सर्कस चल रहा है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि सवाल यह उठता है कि शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल प्रदेश से बाहर आखिर कैसे चले गए? विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को लेकर उन्हीं की वजह से बवंडर खड़ा हो रखा है। जो समिति इस मामले की जांच कर रही है, वो उन्हें कभी भी बुलावा भेज सकती है। ऐसे में उनका जर्मनी दौरा शक के दायरे में है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सुनियोजित तरीके से उन्हें विदेश भेजा गया है, ताकि सब लोग इस प्रकरण को भूल जाएं या फिर नियुक्तियों से मिले पैसों को ठिकाने लगाने के लिए वो विदेश गए हैं। उन्होंने अपने जर्मनी दौरे पर जाने से पहले आनन-फानन में शहरी विकास मंत्रालय में तबादले कर दिए, जिन्हें मुख्यमंत्री को निरस्त करना पड़ा। उन्होंने पूछज्ञ कि आखिर मुख्यमंत्री कितने मंत्रियों के निर्णय बदलेंगे और पलटेंगे?
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच तालमेल का अभाव है क्योंकि इतना बड़ा कदम उठाने से पहले मंत्री मुख्यमंत्री को विश्वास में नहीं ले रहे हैं। जिसके चलते धामी सरकार की किरकिरी हो रही है। गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती के लिए जमकर भाई भतीजावाद किया गया। विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री के स्टाफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियां विधानसभा में नौकरी पर लगाई गईं और बेरोजगार युवाओं को अंधेरे में रखा गया। वो नियुक्तियों का इंतजार करते रह गए। बाद में प्रेम ने मीडिया को धमकानेे के अंदाज में इस बात को कबूला कि बिना विज्ञप्ति के 72 लोगों की नियुक्ति उनका विशेषाधिकार था। जिसके बाद हंगामा मचा हुआ है।