आगाज से अंजाम तक मोदी के नाम की ‘माला’ जपते रहे तीरथ, लेकिन…!

याद आएंगे ऐसे दुर्लभ ‘स्वामीभक्त’

  • मात्र 114 दिन के मुख्यमंत्री रहकर अपने पीछे कई कहानियां छोड़ गये तीरथ सिंह रावत
  • पीएम नरेंद्र मोदी को भगवान राम और कृष्ण की तरह अवतार मानने का बयान भी खूब उछला
  • आते ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के कई फैसलों को पलटने की बातें भी रहीं चर्चाओं का केंद्र 
  • यहां तक पहुंचाने के लिये भी ‘हृदय’ से मोदी, नड्डा और शाह को दिया धन्यवाद

देहरादून। इसे मात्र एक संयोग नहीं कहा जाएगा कि सिर्फ 114 दिन में ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की कहानी खत्म हो गई। हालांकि खुद तीरथ ने अपनी विदाई के पीछे संवैधानिक संकट बताया है, लेकिन इसकी पटकथा उनके द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले बिना सोचे समझे बदलने और विवादित बयानों ने पहले ही लिख दी थी। कई अवसरों पर सरकार और संगठन पर उनके विवादित बयान भारी पड़ गए। 
संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत मुख्यमंत्री को छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी थी। इसके लिए उन्हें 10 सितंबर से पहले उपचुनाव में जाना था, लेकिन कोविड महामारी की वजह से सभी चुनावों पर आयोग की रोक है। ऐसे में अभी उत्तराखंड की दो खाली सीटों गंगोत्री व हल्द्वानी में उपचुनाव की संभावना नहीं है। 
सियासी जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी चुनाव लड़ना है। सियासी जानकार तीरथ की विदाई में ममता बनर्जी के उपचुनाव का कनेक्शन भी मान रहे हैं। हालांकि पार्टी सूत्रों की एक राय और भी है। उनका कहना है कि पार्टी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल को लेकर जो सर्वे कराया है, उसके नतीजे भाजपा के लिए सुखद नहीं हैं। उनके विवादित बयानों से संगठन और सरकार को कई बार असहज होना पड़ा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल की शुरुआत राष्ट्रीय स्तर पर विवादों से हुई और कार्यकाल का समापन अचानक से ही हो गया। इस छोटी सी पॉलिटिकल स्टोरी में जहां सोशल मीडिया का ड्रामा रहा तो दूसरी ओर कोविड की दूसरी लहर की भारी भरकम चुनौती थी। बेरोजगारी का मुद्दा चरम की ओर बढ़ा तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के विवादित फैसलों पर पलटने की बातों ने भी चर्चा बटोरी। 10 मार्च 2021 को शपथ लेने के बाद सीएम तीरथ के कार्यकाल की शुरुआत विवादित बयानों से हुई। उन्होंने यह कहते हुए विवाद पैदा कर दिया कि महिलाओं का रिप्ड यानी फटी हुई जींस पहनना कैसे संस्कार हैं। उनका यह बयान रातोंरात राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा तक ने इस पर सीएम तीरथ की आलोचना की। देखते ही देखते उनका यह बयान सोशल मीडिया में टॉप ट्रेंड में आ गया। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी सफाई भी दी। इसी प्रकार सीएम तीरथ का एक और बयान विवादों में आया जब उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान राम और कृष्ण का अवतार माना जाएगा। इस बयान पर भी उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इस तरह जूझते-जूझते 100 दिन की उपलब्धियों का जश्न मनाकर सीएम तीरथ का यह कार्यकाल उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
तीरथ ने कैंट रोड स्थित भव्य मुख्यमंत्री आवास में जाने का मोह नहीं किया। उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर में मुख्यमंत्री आवास को कोविड केयर सेंटर बनाने का ऐलान तक कर दिया। सत्ता की कमान संभालने के दिन से उनके बारे में यह चर्चा थी कि वह मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट नहीं होंगे। उन्होंने अपने जीएमएस रोड स्थित निजी आवास पर ही रहना उचित समझा। सत्ता की बागडोर हाथों में आने के दिन से ही तीरथ सिंह रावत मोदी के नाम की ‘माला’ रटते रहे। जब विदा हुए तब भी उनकी जुबान पर मोदी का ही नाम था।
तीरथ ने कहा कि संवैधानिक संकट की वजह से उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। जब उनसे पूछा गया कि उनके पास सल्ट विधानसभा से उपचुनाव लड़ने का अवसर था, इस पर उन्होंने कहा कि वह उस समय कोविड से पीड़ित थे, इसलिए चुनाव में नहीं उतरे। सूत्रों के अनुसार तीरथ अपने उन दरबारियों को कोस रहे हैं जिन्होंने उनको सल्ट से चुनाव लड़ने से रोककर ‘सब्जबाग’ दिखाये थे। तीरथ ने भी प्रेसवार्ता में खम ठोकते हुए दावा किया था कि उनको उपचुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता और आलाकमान तय करेगा कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगे। अब उनके त्यागपत्र देने के बाद मीडियाकर्मियों ने मुख्यमंत्री से सबसे पहला सवाल यही पूछा कि उनके त्यागपत्र देने की क्या वजह है? इस पर उन्होंने लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 151(ए) का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि संवैधानिक संकट की वजह से उन्होंने त्यागपत्र दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह हृदय से अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करते हैं। जिन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचाया है। 

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