उत्तराखंड : बाल रोग विशेषज्ञों का टोटा, कैसे करेंगे कोरोना की तीसरी लहर का सामना!

  • दूसरी लहर से पहले लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट ने भी तीरथ सरकार को लगाई थी फटकार

देहरादून। विशेषज्ञों का मानना है कि जब कोरोना की दूसरी लहर का सामना करने में ही राज्य सरकार के होश उड़े हुए हैं तो तीसरी लहर का मुकाबला सरकार सरकार कैसे कर पायेगी क्योंकि प्रदेश में बाल रोग विशेषज्ञों की बेहद कमी है। हालांकि इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है, लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है।
हालांकि दूसरी लहर से पहले लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार इस बार कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है। इसके लिए सरकार की ओर से विशेषज्ञ समिति से सुझाव भी मांगे गए हैं। सरकार ने भी अब स्वीकार कर लिया है कि तीसरी लहर का सामना राज्य को करना पड़ सकता है और यह लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तीसरी लहर में बाल रोग विशेषज्ञों की भूमिका बहुत बढ़ जाएगी। समस्या यह है कि प्रदेश में इस तरह के विशेषज्ञों की भी खासी कमी है। इससे ज्यादा बड़ी बात बच्चों के उपचार के लिए अस्पताल, कोविड केयर सेंटर में उचित व्यवस्था करने की है। बच्चों को वार्ड में अकेले नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐेसे में बच्चा वार्ड तैयार करने की भी चुनौती सामने खड़ी है।
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की बात की जा रही है। पहली लहर में वरिष्ठ नागरिक अधिक प्रभावित हुए थे। दूसरी लहर में युवा वर्ग पर अधिक प्रभाव पड़ा। अब तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की बात की जा रही है। सरकार को इस तीसरी लहर का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि तुरंत तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कम से कम एसओपी, बुनियादी सुविधाएं समय रहते जुटा लेनी चाहिए। 
उधर स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ने कहा कि तीरथ सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और दून मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. देवव्रत रॉय से सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी और जरूरी फैसले लिए जाएंगे। ये बात अलग है कि जब तक फैसले मूर्तरूप लेंगे, उससे पहले ही तीसरी लहर सिर पर खड़ी हो सकती है। 

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