थराली : एसजेवीएन प्रोजेक्ट के चलते 15 साल से अपने आशियाने को तरस रहे तीन दर्जन परिवार

कोई तो सुने गुहार

  • इस परियोजना के तहत सोड़िग और सोड़िग लग्गा त्रिकोट के करीब अब तीन दर्जन परिवारों को पूर्ण रूप से होना है विस्थापित
  • देवाल के ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू ने प्रभावित ग्रामीणों और एसजेवीएन के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक ने रखी प्रभावितों की पीड़ा
  • प्रभावित ग्रामीणों ने भूमि एवं मकानों का मुआवजा दिए जाने, प्रभाविता परिवारों में से एक व्यक्ति को कंपनी में स्थायी रोजगार देने की उठाई मांग

थराली से हरेंद्र बिष्ट।
अपनी पुश्तैनी जमीन पर ही ग्रामीणों को अपने लिए आशियाना बनाने के लिए पिछले 15 साल से प्रशासन से गुहार लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं। किन्तु प्रशासन भी मदद कर पाने में अपनी असमर्थता जाहिर करते नजर आ रहा हैं। हालांकि ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू ने प्रभावितों को हर संभव सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि उनके साथ हर हाल में इंसाफ दिलाया जाएगा।
जी हां, कुछ ऐसा ही देवाल विकास खंड के अंतर्गत सरकोट एवं देवसारी के सोड़िग व सोड़िग लग्गा त्रिकोट के तीन दर्जन से अधिक ग्रामीणों के सामने यह संकट खड़ा हो गया है। जो अपने परिवार की रहने के लिए विकट परिस्थितियों के चलते घरों को बना भी रहे हैं, वे पूरी तरह से आशंकाओं से घिरे हुए हैं। दरअसल सरकार द्वारा क्षेत्र में बहने वाली पिंडर नदी पर 252 मेगावाट की क्षमता की एक बिजली परियोजना के निर्माण की केंद्र सरकार एवं हिमाचल सरकार के संयुक्त उपक्रम सतलुज जल विद्युत परियोजना (एसजेवीएन) को सहमति दी है। जिसके तहत एसजेवीएन के द्वारा 2005 से इस परियोजना पर सर्वे का कार्य किया जा रहा हैं।
इस परियोजना के तहत सोड़िग एवं सोड़िग लग्गा त्रिकोट के करीब अब तीन दर्जन से अधिक परिवारों को पूर्ण रूप से विस्थापित होना है। इसके लिए शासन एवं प्रशासन स्तर पर वर्ष 2012-13 तक भूमि के अधिग्रहण के तहत सेक्शन 1,2,3 एवं 4 तक की कार्य हो जाने के कारण अब अपनी मर्जी से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार इन गांव में मकानों का निर्माण नही कर सकता हैं। अगर करेगा तो निकट भविष्य में मिलने वाले क्षतिपूर्ति का उसे भुगतान नही हो पायेगा। ऐसी स्थिति में जरूरत के बावजूद इन दोनों गांवों के ग्रामीण अपने लिए आसियाना तक नहीं बना पा रहे हैं।

बड़ी बात ये भी है कि अपना मकान बनवाने के लिए ग्रामीण किससे स्वीकृति लें, अब तक भी यही स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। हालात यह है कि अपने घर के निर्माण के लिए ही ग्रामीणों को दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों की पीड़ा को देखते हुए देवाल के ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू ने प्रभावित ग्रामीणों एवं एसजेवीएन के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित की। जिसमें परियोजना से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों ने वर्तमान बाजार मूल्य से भूमि एवं मकानों का मुआवजा दिए जाने, पूर्ण विस्थापित होने वाले प्रभावित परिवारों में से एक व्यक्ति को कंपनी में स्थायी रोजगार दिए जाने सहित कई अन्य मांगें उठाईं।
जिस पर एसजेवीएन के उप महाप्रबंधक आशुतोष बहुगुणा ने आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया।
बैठक के दौरान ही प्रमुख दर्शन दानू ने जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया से मोबाइल से वार्ता करते हुए देवसारी जल विद्युत परियोजना से विस्थापित होने वाले प्रभावितों की समस्याएं बताई। जिस पर डीएम ने तत्काल प्रभावितों एवं एसजेवीएन के अधिकारियों के बीच बैठक करवा कर प्रभावितों की समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। इस बैठक में प्रधान संघ के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट, सरकोट प्रधान सुनिता तिवारी, क्षेपंस रमेश राम, सोडिग के गोपाल बिष्ट, राजेंद्र बिष्ट, तुलसी देवी आदि ने विचार व्यक्त किए।

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