नई दिल्ली। देश में बढ़ती हवाई यात्रियों की संख्या के चलते और विमानन क्षेत्र को फायदे का सौदा बनाने के लिए सरकार ने नया मोनेटाइजेशन प्लान बनाया है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके तहत आने वाले तीन सालों में 25 हवाई अड्डों का निजीकरण होगा।
मोदी सरकार की इस योजना की जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने साझा की है। उन्होंने कहा कि 25 हवाई अड्डों के मौद्रिकरण की योजना बनाई गई है। उनकी सूची तैयार करने के लिए देश के हवाई अड्डों का चयन उनके वार्षिक यातायात के रुझान को देखते हुए किया गया है। वीके सिंह ने कहा कि 0.4 मिलियन (चार लाख) से अधिक यात्रियों के वार्षिक यातायात वाले सभी हवाई अड्डों को निजीकरण के लिए चुना गया है।
वीके सिंह ने बताया कि संपत्ति मुद्रीकरण के लिए सरकार की योजनाओं के एक हिस्से के रूप में सरकार द्वारा चुने गए 25 हवाई अड्डे नागपुर, वाराणसी, देहरादून, त्रिची, इंदौर, चेन्नई, कालीकट, कोयंबटूर, भुवनेश्वर और पटना में स्थित हैं। सरकार की योजना मदुरै, तिरुपति, रांची, जोधपुर, रायपुर, राजमुंदरी, वडोदरा, अमृतसर, सूरत, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, भोपाल और विजयवाड़ा में हवाई अड्डों के निजीकरण की भी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में कालीकट, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरई, सूरत, रांची और जोधपुर हवाई अड्डे का निजीकरण किया जाएगा। इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 में चेन्नई, विजयवाड़ा, तिरुपति, वडोदरा, भोपाल और हुबली हवाई अड्डे का नंबर है। इसके बाद 2025 तक इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश भर में मौजूद 136 में से 133 हवाई अड्डे ऐसे हैं जो कि घाटे में चल रहे हैं। वीके सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि देश के 136 हवाई अड्डों में से 133 को 2020-21 में कोरोना वायरस महामारी के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है। भारत में 136 हवाई अड्डों के लिए कमाई के आंकड़ों से पता चला है कि उन्होंने 2020-21 में सामूहिक रूप से 2,882.74 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है।