गुरु को भगवान घोषित कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चेला तो अदालत ने कहा…!

नई दिल्ली। आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अनोखा मामला आया। एक शिष्य ने अपने गुरु को परमात्मा घोषित करने के लिए जनहित याचिका लगाई। मामला जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच में लिस्टेड हुआ था। इसे जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया।मामले के अनुसार याचिका लगाने वाला श्री श्री अनुकूल चंद्र ठाकुर का शिष्य उपेंद्र नाथ दलाई है। उसकी मांग थी कि श्री श्री ठाकुर के धर्म-समाज में योगदान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट उन्हें परमात्मा मानने का निर्देश दे। उपेंद्र की याचिका में भाजपा, आरएसएस, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, गुरुद्वारा बंगला साहिब, इस्कॉन समिति, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिश्चियन काउंसिल को भी पार्टी बनाया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा- भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। याचिकाकर्ता को इस बात की अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह देश के लोगों से जबरदस्ती श्री श्री अनुकूल चंद्र को परमात्मा मनवाए। जस्टिस शाह बोले- अगर आप उन्हें परमात्मा मानना चाहते हैं तो मानें, दूसरों पर क्यों थोप रहे हैं। हम यहां आपका लेक्चर सुनने नहीं, सुनाने आए हैं। हम सेक्युलर देश हैं। आप मानो कि एक ही गुरुजी हैं… ऐसा कभी होता है भैया? सबको पूरा अधिकार है इस कंट्री में। जिसको जो धर्म मानना है, माने।शिष्य की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को जनहित में नहीं पाया। इसलिए उस पर एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया। उपेंद्र की जुर्माना न लगाने की गुजारिश पर जस्टिस शाह ने कहा- हमने तो कम जुर्माना लगाया। किसी को अधिकार नहीं कि जनहित याचिका का दुरुपयोग करे। अब लोग ऐसी याचिका लगाने से पहले कम से कम 4 बार सोचेंगे।गौरतलब है अनुकुलचंद्र चक्रवर्ती श्री ठाकुर के नाम से मशहूर हैं। वह देवघर में सत्संग के संस्थापक थे। अनुकूल का निधन 27 जनवरी 1969 को हुआ था। भारत सरकार ने 1987 में उनके नाम पर एक मेमो डाक टिकट जारी किया था।

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