अब क्या करेंगे वन मंत्री

सरकार को बड़ा झटका

  • 11 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी कर चुकी है खर्च  
  • प्रस्तावित योजना में कई किमी सड़क बनाने के साथ ही कई जगह बनाये जा चुके है पुलिया व अंडरपास  
  • मोटर मार्ग के निर्माण कार्य फिर से शुरू करने के लिए वन मंत्री हरक सिंह रावत भी खोल चुके हैं मोर्चा 

देहरादून। लालढांग चिल्लरखाल सड़क निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह उत्तराखंड सरकार के लिए बड़ा झटका है क्योंकि 11 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी खर्च कर चुकी है। प्रस्तावित योजना में कई किमी सड़क बनाने के साथ ही कई जगह पुलिया व अंडरपास बनाये जा चुके है। गौरतलब है कि मोटर मार्ग के निर्माण कार्य फिर से शुरू करने के लिए वन मंत्री हरक सिंह रावत मोर्चा भी खोल चुके हैं। अब सुप्रीम कोर्ट की रोक से निर्माण कार्य खटाई में पड़ता दिख रहा है।
इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में जाने से पहले अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से एनजीटीए केंद्रीय वनए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी एनटीसीए को शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया था कि सड़क निर्माण नियमों के विपरीत किया जा रहा है और इससे जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजा जी टाइगर रिजर्व की जैव विविधता के साथ ही वन्यजीवों पर इसका असर पड़ रहा है। मामले की एनजीटी में भी सुनवाई चल रही है। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर वन मंत्री से लेकर शासन व वन विभाग के आला अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। 
गौरतलब है कि राजाजी टाइगर रिजर्व में लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग के निर्माण पर लोक निर्माण विभाग पहले ही रोक लगा चुका है। वन विभाग की आपत्ति के बाद लोक निर्माण ने कार्य पर रोक लगाई। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने निर्माण कार्य न शुरू करने पर लोनिवि के अपर मुख्य सचिव पर सवाल खड़े किये थे लेकिन विभाग ने दोबारा कार्य शुरू नहीं किया। मौजूदा समय में विभाग के स्तर से सड़क निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। उल्लेखनीय है कि राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में लालढांग से लेकर चिल्लरखाल तक सड़क बनाए जाने के मामले में एनटीसीए ने उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी थी। जांच समिति तमाम पहलुओं की जांच कर एनजीटी को अपनी जांच रिपोर्ट भी सौंप चुकी है।

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