- दिल्ली दंगे की जांच को लेकर कोर्ट ने जताई नाराजगी और लगाई दिल्ली पुलिस को फटकार
नई दिल्ली। दिल्ली में पिछले साल हुए दंगों को लेकर दिल्ली की एक कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि बंटवारे के बाद के सबसे बुरे दंगे की जैसी जांच दिल्ली पुलिस ने की है, यह दुखदायी है। जब इतिहास पलटकर इसे देखेगा तो यह लोकतंत्र के प्रहरियों को दुख पहुंचाएगा।
इस मामले में एडिशनल सेशन जज (एडीजे) विनोद यादव ने शाह आलम (पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई), राशिद सैफी और शादाब को मामले से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि यह जांच संवेदनाहीन और निष्क्रिय साबित हुई है। ऐसा लगता है जैसे कॉन्स्टेबल को गवाह के तौर पर प्लांट किया गया था। जज विनोद यादव ने कहा कि यह केस करदाताओं की मेहनत की कमाई की बर्बादी है। ये और कुछ नहीं, बल्कि पुलिस ने हमारी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है।
कोर्ट ने इस बात की ओर भी ध्यान खींचा कि वारदात की जगह पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि वाकई में आरोपी वहां मौजूद थे। न इस घटना के कोई चश्मदीद गवाह हैं और न ही आपराधिक षड्यंत्र होने के कोई सबूत हैं।
जज ने कहा- मैं खुद को यह कहने से रोक नहीं पा रहा हूं कि जब लोग बंटवारे के बाद के सबसे बुरे इस दंगे को पलटकर देखेंगे तो, आधुनिक तकनीकों के बाद भी सही जांच करने में पुलिस की नाकामी देखकर लोकतंत्र के प्रहरियों को दुख पहुंचेगा। ऐसा लगता है जैसे पुलिस ने सिर्फ चार्ज शीट दाखिल कर गवाहों को, तकनीकी सबूत या असली आरोपी को ढूंढने की कोशिश किए बिना केस को हल कर दिया। यह पुलिस की घोर लापरवाही का नतीजा है।