सेना के बजट में 63 हजार करोड़ की कटौती पर उठे सवाल!

  • संसद की स्टैंडिंग कमेटी की चेतावनी- बॉर्डर इलाके में तनाव के बीच सैन्य बजट में कटौती खतरनाक

नई दिल्ली। आज गुरुवार को संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन डिफेंस ने लोकसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि बॉर्डर पर तनाव के बीच सेना के बजट में कटौती करना खतरनाक हो सकता है। कमेटी ने कहा कि साल 2022-23 के लिए कैपिटल हेड के तहत सेना के लिए 2.15 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, लेकिन आवंटन सिर्फ 1. 52 लाख करोड़ रुपए का हुआ।
सेना की ताकत के लिहाज से कैपिटल हेड सबसे अहम पार्ट होता है। इससे हथियार, गोला-बारूद, फाइटर प्लेन जैसी चीजें खरीदी जाती हैं। इस कमेटी के अध्यक्ष भाजपा के सांसद जुएल उरांव हैं। वहीं राहुल गांधी, शरद पवार सहित 30 सांसद इसके सदस्य हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की ओर से बढ़ रहे खतरे का जिक्र किया है। कमेटी ने सिफारिश की है कि मिलिट्री आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
कमेटी ने कहा कि थल सेना ने 46,844 करोड़ रुपए की मांग की थी, लेकिन उसे केवल 32,115 करोड़ रुपए मिले हैं। इसी तरह वायुसेना को 85,323 करोड़ रुपए के बजाय 56,852 करोड़ रुपए और नौसेना को 67,623 करोड़ रुपए के बजाय 47,591 करोड़ रुपए मिले हैं। साल 2021-22 में एयरफोर्स को 53 हजार करोड़ रुपए, आर्मी को 36 हजार करोड़ और नेवी को 33 हजार करोड़ रुपए मिले थे।
कमेटी ने कहा कि हमने कैबिनेट नोट के उस प्रस्ताव पर विचार कर लिया है, जिसमें मिलिट्री आधुनिकीकरण के लिए अलग से कोश बनाने की बात कही है। कमेटी ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द इसकी मंजूरी दें, जिससे आधुनिकीकरण के लिए और अधिक बजट सेना को मिल सके। जबकि हथियार खरीदी में सरकार ने 63 हजार करोड़ रुपए की कटौती कर दी है, जो कि गलत है। गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में सैन्य झड़प के बाद से ही चीन से भारत का तनाव जारी है। दोनों देश के बीच शांति स्थापित करने को लेकर 15 राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन पूर्ण रूप से शांति स्थापित करने पर बात नहीं बनी है।

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