‘ऑपरेशन थंडर’: धरे गये 387 रेलवे टिकट दलाल

कमीशनखोरी का काला धंधा

  • रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वाले दलालों पर पुलिस की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई
  • इन दलालों के पास से 37 लाख रुपए के 22 हजार 253 टिकट बरामद, 50 हजार लोगों के टिकट रद्द

नई दिल्ली। रेलवे में टिकट की कालाबाजारी करने वाले दलालों पर रेलवे पुलिस ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। पुलिस ने देश के 16 जोन के 205 शहरों में एक साथ ‘ऑपरेशन थंडर’ चलाया और 387 दलालों को हवालात का रास्ता दिखाया। इन दलालों के पास से करीब 37 लाख रुपए के 22 हजार 253 टिकट बरामद हुए हैं, जिन पर हफ्ते भर में करीब 50 हजार लोग सफर करने वाले थे। गलत तरीके से बुक किए गए इन टिकटों को रेलवे ने रद्द कर दिया है। 
ये दलाल टिकट के एवज में जरूरतमंद लाेगाें से किराए के अलावा 200 से लेकर 5000 रुपए तक कमीशन लेते थे। रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) ने ऑपरेशन थंडर के बाद 375 दलालों के खिलाफ केस दर्ज किये है। कार्रवाई के दाैरान कई दलाल दुकान तक छोड़कर भाग निकले। आरपीएफ की जांच में यह सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए 387 दलालों ने करीब 3.79 करोड़ के 22,253 टिकटों की कालाबाजारी की थी। दलाल जिन आईडी से ये टिकट बनाते थे, उन्हें बंद करके 37 लाख रुपए के टिकट रद्द कर दिए गए हैं। 
रेलवे ने गुरुवार की रात यह बड़ी कार्रवाई की। रेलवे पुलिस के साथ साइबर सेल और आईटी सेल ने मिलकर दिल्ली, भोपाल, जयपुर, भागलपुर, जबलपुर, अंबाला, मुगलसराय समेत 205 शहरों में छापेमारी की। ऑपरेशन थंडर चलाने के लिए रेलवे ने वैसे स्टेशनों का चयन किया, जहां से बड़ी संख्या में लोग यात्रा करते हैं और टिकटों की मारामारी रहती है। इन शहरों में दलालों का बड़ा नेटवर्क था। जिन पर पिछले छह महीने से आईटी और साइबर सेल के 500 विशेषज्ञों की नजर थी। आरपीएफ के महानिरीक्षक (आईजी) अरुण कुमार के अनुसार नवंबर 2018 में भी कार्रवाई की गई थी। जिसके बाद सभी संदिग्ध दलालों पर रेलवे की नजर थी। 
गौरतलब है कि राजस्थान के शहरों से पकड़े गए दलाल टिकट बुक कराने के लिए ‘लाल मिर्ची’ नाम के साॅफ्टवेयर का प्रयोग करते थे। इसकी मदद से वे पहले से ही यात्रियों के नाम, पता, उम्र वगैरह कंप्यूटर में भर कर रखते थे और रिजर्वेशन बुकिंग खुलते ही तुरंत ऑनलाइन कंफर्म टिकट बुक कर लेते थे। यह साॅफ्टवेयर मुंबई से खरीदा गया था और इसमें एक साथ कई टिकट बुक करने की सुविधा होती थी। 
रेलवे टिकट दलाली पर पहले भी कार्रवाई करती रही है, लेकिन दलाल छूटने के बाद अलग यूजर आईडी बनाकर फिर से अपना धंधा शुरू कर देते थे। हालांकि वे एक गलती यह कर देते थे कि जिन पेमेंट गेटवे से पहले भुगतान करते थे, उसे नहीं बदलते थे। साइबर टीम उनके पेमेंट गेटवे के आधार पर दलालों के पूरे नेटवर्क को ट्रेस कर रही थी। इसी आधार पर इतनी बड़ी कार्रवाई संभव हुई और दलालों का एक बड़ा नेटवर्क ध्वस्त कर दिया गया। 

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