उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में ‘विधायक बचाओ’ मिशन में जुटी कांग्रेस

नई दिल्ली। कई एग्जिट पोल के नतीजों के उलट कांग्रेस अपने इंटरनल सर्वे के आधार पर पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में सरकार बनाने के लिए एक्टिव हो गई है। सर्वे में दावा किया गया है कि इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। पार्टी ने पिछले अनुभवों के आधार पर अपने विधायकों को किसी भी तरह दूसरे पाले में जाने से बचाने की कवायद भी तेज कर दी है। इसके लिए भूपेश बघेल को उत्तराखंड, अजय माकन को पंजाब और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को गोवा में विधायकों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया है। प्लानिंग तो यहां तक है कि जरूरत पड़े तो विधायकों को एयरलिफ्ट करके हॉर्स ट्रेडिंग से बचा लिया जाए।
आज रात दून पहुंचेंगे बघेल : पार्टी के इंटरनल सर्वे में उत्तराखंड में कांग्रेस को 35 से 40 सीटें मिलने का अनुमान है। ऐसे में जीती बाजी हाथ से निकल न जाए, इसके लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उत्तराखंड का मोर्चा संभालने का जिम्मा दिया गया है। विधायकों को अपने पाले में रखने के लिए हर तरकीब अपनाई जा रही है। कुमाऊं और गढ़वाल के सुदूर इलाकों से जीतने वाले विधायकों को सड़क मार्ग से देहरादून पहुंचने में कई घंटे लग सकते हैं। ऐसे में उन्हें हेलीकॉप्टर से भी देहरादून लाने का प्लान तैयार है। आज बुधवार को छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल विधानसभा में बजट पेश कर रहे हैं। बजट पेश करने के बाद आज ही रात तक वह देहरादून पहुंच जाएंगे। गुरुवार को चुनाव नतीजे आने के साथ ही बघेल आगे की रणनीति तय करेंगे। बघेल का साथ देने के लिए पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ और मोहन प्रकाश को भी लगाया गया है।
इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा, स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे सहित अन्य रणनीतिकार भी देहरादून पहुंच चुके हैं। जीतने वाले हर प्रत्याशी से कांग्रेस नेता लगातार टच में हैं, ताकि भाजपा की किसी भी विधायक पर डोरे डालने की गतिविधि को समय रहते फेल किया जा सके। गौरतलब है कि भाजपा ने हालात का जायजा लेने के लिए तीन दिन पहले कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून भेजा था। पूर्व सीएम निशंक को भी पार्टी ने एक्टिव कर दिया है, जिसकी काट के लिये कांग्रेस को यह रणनीति अपनानी पड़ी है।
गोवा के मोर्चे पर डटे हैं डीके शिवकुमार : कांग्रेस को पिछले चुनाव में गोवा जैसे छोटे से राज्य के हाथ से फिसलने का मलाल अब तक है। इस चुनाव में पिछला इतिहास न दोहराया जाए, इसके लिए गोवा में कांग्रेस के प्रभारी चिदंबरम पहले से मौजूद हैं। खबर ये भी आई कि बर्थडे पार्टी के बहाने गोवा के संभावित विधायकों को दो होटलों में शिफ्ट कर दिया गया है।इसके बाद भी हॉर्स ट्रेडिंग की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए पार्टी ने कर्नाटक पीसीसी चीफ डीके शिवकुमार को गोवा भेजा है। डीके शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस में विधायकों की टूट फूट से बचाने में काफी अहम रोल निभाया था।
वर्ष 2017 में गोवा में कांग्रेस को मिली करारी चोट : वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गोवा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। 40 में से कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं। 13 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने सरकार बना ली थी। 2022 का चुनाव आते-आते 13 कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। केवल पांच विधायक ही बचे रह गए। उस समय गोवा के प्रभारी दिग्विजय सिंह पूरी तरह फेल हुए थे। वह इंतजार ही करते रह गए कि तीन विधायक आएं तो वह राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करें। तब तक भाजपा ने बहुमत जुटाकर सरकार बनाने का दावा कर दिया था।
पंजाब में माकन के सहारे कांग्रेस का बेड़ा : अजय माकन राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी हैं। राजस्थान में उन्होंने सीएम अशोक गहलोत और बागी सचिन पायलट के बीच रार खत्म कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उनकी इस इमेज के चलते कांग्रेस ने पंजाब में विधायकों की टूट-फूट रोकने का जिम्मा अजय माकन को सौंपा है।
पार्टी के इंटरनल सर्वे में कांग्रेस पंजाब में सरकार बनाती दिख रही है। हालांकि, एग्जिट पोल इसके विपरीत आम आदमी पार्टी को आगे बता रहे हैं। एक-दो सीटों का अंतर रहा तो विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग का खतरा बढ़ जाएगा। जिसे कांग्रेस किसी भी हालत में होने देना नहीं चाहती। कांग्रेस को उम्मीद है कि चरणजीत सिंह चन्नी ने पिछले चार-पांच महीने में कांग्रेस की इमेज सुधारी है। उनके नाम पर वापसी हो रही है। बताया जा रहा है कि त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में कांग्रेस भी निर्दलीयों या अन्य की मदद से जोड़-तोड़ करके सरकार बनाने की कोशिश करेगी। 

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