ऑक्सफोर्ड विवि के शोध का खुलासा
- शोध के दौरान करीब 22 हजार लोगों की ब्रेन स्कैनिंग हुई, इनमें शामिल थे डायबिटीज के 1100 मरीज डायबिटीज बढ़ने पर डैमेज हो सकती हैं ब्रेन की नर्व, इसलिए और भी बढ़ जाता है डिमेंशिया का खतरा
- इन दोनों मेडिकल कंडीशन के शिकार लोगों की घटती जा रही सोचने की क्षमता और याददाश्त
लंदन। ‘डायबिटीज और ब्लड प्रेशर इंसान के दिमाग की संरचना बदल रहे हैं। इसलिए लोगों में सोचने की क्षमता और याददाश्त दोनों घट रही है।’ यह दावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह बदलाव ब्रेन के ग्रे और व्हाइट मैटर वाले हिस्से में हो रहा है। रिसर्च में 22 हजार से अधिक लोगों की ब्रेन स्कैनिंग की गई। इनमें 1100 डायबिटीज के मरीज भी शामिल थे। शोध के दौरान इन लोगों की तुलना स्वस्थ लोगों के साथ की गई। दोनों की याददाश्त का स्तर देखा गया और रिएक्शन टाइम जांचा गया। रिसर्च में सामने आया कि हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के दिमाग पर सबसे ज्यादा असर 44 से 69 साल की उम्र में दिखता है। 70 साल से अधिक उम्र होने पर असर उतनी तेजी से नहीं दिखता।
नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार जैसे-जैसे हाई ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो दिमाग की परफॉर्मेंस घटती जाती है। दिमाग के काम करने की क्षमता का एक सेकंड भी धीमा होना बहुत बुरा असर छोड़ता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. मसूद हुसैन के मुताबिक रिसर्च में हमने हृदय रोग और डायबिटीज से दिमाग पर पड़ने वाले असर को पता लगाने की कोशिश की है। इसका असर आने वाले समय में डिमेंशिया के रूप में पड़ सकता है। प्रो. मसूद हुसैन कहते हैं, दोनों ही बीमारी के रोगियों की एमआरआई के दौरान ब्रेन की संरचना जांची गई। डायबिटीज बढ़ने पर ब्रेन की नर्व डैमेज हो सकती हैं, इसलिए डिमेंशिया का रिस्क और भी बढ़ता है। गौरतलब है कि डिमेंशिया भूलने की दिक्कत से अलग है। दरअसल डिमेंशिया में हमारी सोचने-समझने की क्षमता लगातार कम होती जाती है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं और वक्त गुजरने के साथ गंभीर होते जाते हैं। इसलिए अक्सर घरवाले भी इसे नोटिस नहीं कर पाते।