देहरादून। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का कला और कलाप्रेमियों से इतना लगाव था कि जब दून के एक अदने से कलाकार अर्श ने हिचकिचाते हुए उनसे ऑटोग्राफ मांगे तो लता जी ने उन्हें आशीर्वाद के रूप में चेक ही थमा दिया। बांस के पर्दों के साथ ही विभिन्न कलाकृतियां बनाने वाले अर्श खान के कला से वह इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने अर्श से अपने घर को भी सजवाया था।
उल्लेखनीय है देहरादून के गोविंदगढ़ निवासी अर्श खान बांस से पर्दे सहित कई तरह की कलाकृतियां बनाते हैं। अर्श खान बताते हैं कि बात वर्ष 2011 की है। जब भारत ने वर्ल्ड कप जीता था। वर्ल्ड कप जीतने की खुशी में वह अपनी कला से बने ग्रीटिंग को भारतीय टीम को बधाई स्वरूप देने के लिए मुंबई गए हुए थे।
इसी दौरान उनकी लता जी से मुलाकात हो गई।अर्शखान बताते हैं… उन्हें उम्मीद नहीं थी कि लता जैसी बड़ी कलाकार उनके साथ इतनी सहजता से बात करेगी। लेकिन जिस सादगी, सहजता से उन्होंने उससे बात की और उसकी कला की तारीफ की, इसकी तो उन्हें सपनों में भी उम्मीद नहीं थी।
अर्श बताते हैं कि लता जी कला की बारीकियों को जानती थी। लता जी ने उसे अपने आशियाने की सजावट के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने उससे अपने बालकनी और पूजा रूम को विशेष रूप से सजवाया। काम करते हुए लता जी उन्हें देखती रहीं, जो उन्हें बड़ा अच्छा लगा।
जब अर्श ने दीदी से ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गुनगुनाने के लिए कहा तो दीदी मात्र कहने भर से ही गीत गुनगुनाने लगी। जब उन्होंने यादगार के लिये लता जी से ऑटोग्राफ के लिए रिक्वेस्ट किया तो लता दीदी ने उन्हें खुश होकर चेक ही पकड़ा दिया। इस चेक की फोटोकॉपी आज भी उन्होंने संभाल कर रखी है।
अर्श ने कहा कि आज दीदी हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा उनके साथ रहेगी। उनके जाने से एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन युगों का अंत हो गया। लता जी तो अनंत में विलीन हो गईं, लेकिन उनकी आवाज लोगों के कानों में सदा गूंजती रहेगी।