क्या चुनावी रैलियों में खत्म हो जाता है कोरोना का डर?

देहरादून। कोरोना के ओमीक्रॉन स्वरूप को लेकर बढ़ती चिंता और उत्तराखंड में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सख्त कोविड प्रतिबंध लागू हो चुके हैं। यहां तक की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने राज्य में तत्काल रैली, समारोह और शादियों में भीड़ जुटाने पर प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत बताई है। क्योंकि जिस तरह से कोविड की दूसरी लहर को नजरअंदाज करते हुए राजनैतिक रैलियों, समारोहों का आयोजन किया गया था उसका खामियाजा कई लोगों ने अपनों को खोकर भुगता है। इन्हीं आयोजनों को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना गया था। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते संक्रमण के बीच राजनैतिक दलों को भी अपने कार्यक्रम नियंत्रित करने चाहिए। लेकिन इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी जनसभाओं की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।

2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा फिर प्रदेश की सत्ता की दावेदारी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी की चुनावी नैया पार लगाने में मोदी लहर से पार हुई थी। भाजपा का दारोमदार अगले चुनाव में भी मोदी लहर पर ही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी समय उत्तराखंड को देने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते पीएम मोदी चार दिसंबर को देहरादून में जनसभा के बाद दूसरे पखवाड़े के अंतिम हफ्ते में कुमाऊं का रुख करने जा रहे हैं। 24 या 25 दिसंबर को हल्द्वानी या रुद्रपुर में उनकी जनसभा होगी। हालांकि चुनावी जनसभा के लिए आयोजक कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षा के तमाम उपाय करने के दावे जरूर करते हैं, लेकिन उत्साहित समर्थकों की भीड़ के सामने तमाम एहतियात धरे रह जाते हैं। मानो नेताओं को सुनने के लिए लोग कोरोना को भूल गए हों। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चार दिसंबर की रैली को भाजपा ऐतिहासिक बनाने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी व्यक्तिगत निमंत्रण भी भेजने की तैयारी कर रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा है कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली को ऐतिहासिक बनाने में भाजपा पूरी ताकत से जुटी हुई है। प्रयास यह है कि लाखों व्यक्तियों को रैली में लाया जाए”। अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनसभा में हालात किस तहर के होंगे। इतनी भीड़ को बैठाने के लिए सभास्थल की कुर्सियों की दूरी मीटर से घटकर सेंटीमीटर पर आ जाएगी। मास्क अनिवार्य जरूर होगा लेकिन वह भी नाक से उतरकर ठुड्डी पर या फिर जेब में आ जाएगा। रैली के व्यवस्थापकों की बार-बार की अपील का भी समर्थकों पर कोई असर नहीं पड़ता है। वहीं, पीएम मोदी के अलावा दिसंबर महीने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी उत्तराखंड दौरे पर आने की तैयारी में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी दिसंबर में कुमाऊं अथवा गढ़वाल मंडल का दौरा करेंगे। भाजपा को टक्कर देने के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी जनसभा को भव्य बनाने में कोई कमी छोड़ने वाली नहीं है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन जनसभाओं और रैलियों में कितनी भीड़ उमड़ने वाली है।  जिस तरह से उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और साथ ही लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे हालातों में जहां कोरोना रोकथाम अभियानों में तेजी आनी चाहिए तो वहीं राजनैतिक पार्टियां चुनावी अभियान तेज करने में जुटी हुई हैं। कोरोना की दूसरी लहर में जो गलतियां की गई थी उन सब से अनजान बनी राजनैतिक पार्टियां यह भूल रहे हैं कि उनकी यह अनदेखी देश पर कितनी भारी पड़ सकती है।

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