कुछ यूं है… कृष्णपाल से चिन्मयानंद बने स्वामी का सलाखों के पीछे तक सफर!

  • धीरे-धीरे शाहजहांपुर में अपना इतना विशाल साम्राज्य स्थापित कर बने ‘स्वामी’

नई दिल्ली। भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद को एसआईटी ने आज शुक्रवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। एसआईटी ने उन्हें उन्हीं के लॉ कॉलेज की एक छात्रा द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। यह पूरा मामला बीते अगस्त से ही चल रहा है।
हालांकि बहुत से लोग नहीं जानते कि स्वामी चिन्मयानंद कौन हैं? वह कहां से आए? राजनीति में आने से पहले क्या करते थे? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना करीबी बताने वाले चिन्मयानंद देश के गृहराज्यमंत्री कैसे बने और शाहजहांपुर में अपना इतना विशाल साम्राज्य कैसे खड़ा किया। आइये आपको बताते हैं कि कैसे कृष्णपाल सिंह से चिन्मयानंद बने स्वामी अब जेल की सलाखों के पीछे तक पहुंचने का सफरनामा।  
एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंचने वाले चिन्मयानंद यूपी के गोंडा के मूल निवासी हैं। उनका जन्म 3 मार्च 1947 को हुआ था। उनका ताल्लुक अवध के राजघराने से बताया जाता है। इनका असली नाम कृष्णपाल सिंह है। हालांकि लोग इन्हें स्वामी चिन्मयानंद के नाम से जानते हैं। चिन्मयानंद ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए किया। कहा तो ये भी जाता है कि युवावस्था में उन्होंने बुद्ध और महावीर से प्रभावित होने के बाद राजघराने से अपना ताल्लुक तोड़ लिया। चिन्मयानंद ने भाजपा के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से 1991 में चुनाव जीता और फिर राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके सात साल बाद 1998 में वह यूपी के मछलीशहर और 1999 में जौनपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद वह वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री भी बने। वह भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं।
सांसद और मंत्री रहने के अलावा चिन्मयानंद ने राम मंदिर आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस आंदोलन में चिन्मयानंद ने गोरखपुर की गोरक्षा पीठ के महंत और पूर्व सांसद अवैद्यनाथ के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाई थी। कहा तो यह भी जाता है कि चिन्मयानंद के सांसद बनने में अहम भूमिका निभाने वाले महंत अवैद्यनाथ ही थे। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी काफी करीब हैं। जब 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली तो वो चिन्मयानंद ही थे जिन्होंने मुख्यमंत्री के पद के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम आगे किया था। 72 वर्षीय चिन्मयानंद शाहजहांपुर में स्थित अपने एसएस लॉ कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने योगी सरकार को राजी भी कर लिया था। इस बीच इसी कॉलेज की एक छात्रा ने उनके खिलाफ वीडियो जारी कर यौन शोषण और दुष्कर्म जैसे बड़े आरोप लगा दिए। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब चिन्मयानंद पर इस तरह का आरोप लगा है। इससे पहले साल 2011 में भी एक महिला ने उन पर ऐसे ही आरोप लगाए थे। हालांकि इस मामले में सरकार ने उन पर दर्ज मुकदमे को वापस ले लिया था।

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