कुंभ : आस्था के सामने नतमस्तक हुआ कोरोना!

  • नवरात्र के पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी, पूर्णागिरी मंदिर में उमड़ा जनसैलाब

देहरादून। चैत्र नवरात्र और नवसंवत्सर के मौके पर आज मंगलवार को कुंभनगरी हरिद्वार में लाखों श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर स्नान किया। वहीं कुंभ क्षेत्र के आस-पास के घाटों पर भी श्रद्धालुओं की खासी भीड़ नजर आई। इस दौरान कोरोना संक्रमण के बचाव के नियम भी तार-तार हो गए।
राजधानी समेत गढ़वाल और कुमाऊं के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। चंपावत के पूर्णागिरि मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मेले में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने देवी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। सुबह दस बजे तक ही करीब पांच हजार श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए पहुंच चुके थे।

ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि नवरात्र में देवी दुर्गा की पूजा का अधिक महत्व है। हर वर्ष जब भी नवरात्र आते हैं, मां दुर्गा अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। इस बार 21 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। नवरात्र का परायण 22 अप्रैल को होगा। इस बार नवरात्र में अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस बार नव संवत्सर 2078 मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। इस वर्ष का नाम राक्षस है। विक्रमी नववर्ष के राजा और मंत्री के दोनों पदों पर मंगल का अधिकार रहेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह वर्ष काफी कठिनाइयों भरा रहेगा।  
मान्यता है कि चैत्र मास शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन ही सूर्योदय के समय ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी। यही मुख्य कारण है कि पंचांग अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथम तिथि के साथ ही हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ भी होता है।    
आचार्य प्रियव्रत शर्मा के अनुसार इसी दिन गुड़ी पड़वा भी है। मंगलवार से प्रारंभ हो रही प्रतिपदा के कारण इस संवत का राजा क्रूर ग्रह मंगल होगा। मंगल दंगल भी कराता है और मंगल भी करता है। पंचांग की गणना से देखें तो इस बार 13 अप्रैल यानी आज मंगलवार को राक्षस नाम संवत्सर का आरंभ हो गया है। मंगलवार के दिन वर्ष का आरंभ होने से वर्ष के राजा मंगल होंगे। मंत्री का पद भी मंगल के पास रहेगा। जिससे दुनियाभर में भारी उथल पुथल की आशंकायें हैं।

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