दिखेंगे दूरगामी असर
- कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने को दी मंजूरी
- मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से अपने भाषण में इस नए पोस्ट का किया था ऐलान
- देश के रक्षा मामलों पर केंद्र सरकार का सिंगल-पॉइंट एडवाइजर होगा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
नई दिल्ली। आज मंगलवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने को मंजूरी दे दी है। इस तरह जल्द ही देश को पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिलेगा।
गौरतलब है कि मोदी ने इसी साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने का ऐलान किया था। वर्ष 1999 में करगिल रिव्यू कमेटी ने इस पद का सुझाव दिया था जो रक्षा से जुड़े मसलों पर सरकार का सिंगल-पॉइंट एडवाइजर होगा। सीडीएस की नियुक्ति का मकसद देश के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है। मोदी ने 15 अगस्त को ऐतिहासिक सैन्य सुधार की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिसे सीडीएस कहा जाएगा।
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद सीडीएस की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। प्रोटोकॉल के मामले में भी सीडीएस सबसे ऊपर रहेगा। सीडीएस मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा। 1999 के करगिल युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति ने रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था।
इसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध के समय होगा। युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। दरअसल सशस्त्र बलों की परिचालनगत योजना में कई बार खामियां सामने आईं। 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था। उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गई थी जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत के पठारों पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी और उनके बीच तबाही मचा सकती थी। इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रहते हुए इस तरह की कोई खामी नहीं रहेगी और सेना प्रभावी ढंग से दुश्मन से निपट सकेगी।