हरिद्वार सीट: भाजपा फुल फॉर्म में, कांग्रेस आराम में, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विरोधियों पर बनाई मनोवैज्ञानिक बढ़त

  • टिकट में लेटलतीफी से कांग्रेस की स्थिति लगातार खराब

देहरादून। हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा फुल फार्म में नजर आ रहे हैं। हरिद्वार जिले में एक के बाद एक बड़े कार्यक्रम करके पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने विरोधियों में हलचल मचा दी है। इस लोकसभा सीट के 11 विधानसभा क्षेत्र में त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम हर दिन लोगों से सीधे संवाद करने निकल रही है। भाजपा का चुनाव प्रचार दिन ब दिन तेजी पकड़ता जा रहा है और पार्टी ने कांग्रेस व अन्य विरोधी दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है।

दूसरी तरफ, कांग्रेस का असमंजस बरकरार है। हालांकि यह खबर पक्की है कि इस सीट पर पार्टी का टिकट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कोटे में चला गया है। ज्यादातर संभावना उनके बेटे विरेंद्र रावत के नाम को लेकर है, जिसे साथ लेकर हरीश रावत शनिवार को हरिद्वार जिले में एक कार्यक्रम में दिखाई दिए। मगर चुनाव की उस बेला में, जबकि भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत पिछले दस दिनों में ताबड़तोड़ कार्यक्रम कर चुके हैं, कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का औपचारिक ऐलान न होने से पार्टी की बुरी स्थिति ही सामने आ रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता के पास इस सीट पर फिलहाल कोई काम नहीं है। हाईकमान की लेटलतीफी के कारण पार्टी के स्थानीय नेताओं को ये सूझ नहीं रहा है कि वे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें।

शनिवार शाम तक भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं हो पाई थी, देर शाम तक क्या स्थिति बनती है, ये कहा नहीं जा सकता।
चुनाव को लेकर भाजपा और खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत की काफी पहले से चल रही तैयारियों का असर अब जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। भाजपा की मजबूत संगठनात्मक क्षमता और त्रिवेंद्र सिंह रावत के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता सेे सीधे संपर्क का लाभ पार्टी को इस सीट पर मिलता दिखाई दे रहा है।

यही वजह है कि पार्टी इस सीट पर सिर्फ जीत की बात नहीं कर रही, बल्कि बडे़ अंतर से जीत का दम भर रही है। होली के बाद चुनाव प्रचार अभियान को और तेज करने के लिए भी भाजपा ने रणनीति बना ली है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा चुनाव प्रचार में इतना आगे निकल चुकी है, कि उसे पकड़ पाना विरोधियों के लिए लगभग नामुमकिन सा होता जा रहा है। ये स्थिति तब है, जबकि चुनाव प्रचार में पार्टी के उत्तराखंड स्तर के नेता ही शामिल हैं। प्रचार का जिम्मा जब भाजपा के स्टार प्रचारकों के कंधों पर आएगा, तब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगवा बयार किस तरह से बहने लगेगी।

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