नई दिल्ली। टाटा ने घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। करीब 68 साल बाद टाटा ग्रुप एयर इंडिया का फिर मालिक होगा। एयर इंडिया के लिए टाटा संस ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाई, जबकि स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ की बोली लगाई थी।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि यह ट्रांजैक्शन दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। टाटा के हाथ एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की कमान आएगी। एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म पैनल ने एयर इंडिया की वित्तीय बोली पर फैसला लिया है। इस पैनल में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई मंत्री और अधिकारी शामिल हैं। पांडे ने कहा कि एयर इंडिया पर कुल कर्ज 46,262 करोड़ है। यह आंकड़ा मार्च 2021 तक का है। अगस्त के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 61,562 करोड़ पर पहुंच गया। सरकार को इस डील में 2,700 करोड़ रुपये का कैश मिलेगा। मौजूदा समय में एयर इंडिया 4400 घरेलू उड़ानें और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को कंट्रोल करती है।
एयर इंडिया की वर्ष 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से शुरुआत हुई थी। विमानन कंपनी की 68 साल बाद ‘घर वापसी’ हुई है। टाटा समूह ने अक्टूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। फिर इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया।