शैवाल, काई, फर्न, कवक और लाइकेन का बाजार में अच्छा मूल्य
देहरादून। देश के पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन उत्तराखंड के चकराता स्थित देववन में बनाया गया है। इसकी शुरुआत रविवार को कर दी गई है। क्रिप्टोग्राम वे पौधे हैं, जो बीजों के माध्यम से नहीं फैलते हैं। इसमें शैवाल, काई, फर्न, कवक और लाइकेन शामिल हैं। यह गार्डन समुद्र तल से करबी 9000 फीट की ऊंचाई पर है। करीब 3 एकड़ में क्रिप्टोग्राम की लगभग 76 प्रजातियां हैं। वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस उद्यान के माध्यम से उक्त समूह के पौधों के बारे में लोगों को जागरूक करने में आसानी होगी। ये पौधे जुरासिक युग से पृथ्वी पर मौजूद हैं। यह पौधे अच्छे जैव संकेतक भी हैं, चूंकि लाइकेन जैसी प्रजातियां प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में नहीं आती हैं। इन प्रजातियों का बेहतर आर्थिक मूल्य है। बिरयानी और कबाब में इनके मसालों का उपयोग किया जाता है। लाइकेन और शैवाल की प्रजातियां में विभिन्न पोषक तत्व मिलते हैं। कई लाइकेन प्रजातियों का उपयोग दवाओं के रूप में किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए देववन को इसलिए चुना गया, क्योंकि यहां इन पौधों के समूह का एक अच्छा प्राकृतिक आवास है। यह क्षेत्र प्रदूषण से मुक्त है और इन पौधों के लिए उपयुक्त नमी की स्थिति भी प्रदान करता है।