आ बैल मुझे मार : अनजाने में घूस के 54 लाख सरकारी खाते में जमा कराये, फिर नौकरी भी गंवाई!

    सब गोलमाल है

    • नोएडा ऊर्जा निगम का मामला, इंजीनियर ने बाबू को दिए थे घूस के 54 लाख रुपए
    • बाबू ने उस रकम को बिजली का बिल समझकर सरकारी खाते में कराया जमा
    • रिश्वत का पैसा जब बांटने की बारी आई तो पता चला तो पीटा अपना माथा

    लखनऊ। कई बार ऐसे रोचक मामले सामने आते हैं कि 1 झूठ को छुपाने के लिये 10 झूठ भी कम पड़ जाते हैं और भेद खुल ही जाता है। नोएडा पावर कॉर्पोरेशन में भ्रष्टाचार का ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है।
    मिली जानकारी के अनुसार इंजीनियर संजय शर्मा के पास रिश्वत के 54 लाख रुपए आए। उस पैसे को उसने अपने बाबू महेश कुमार को दे दिया। जो महीने के आखिर में आला अफसरों तक में :ईमानदारी’ से बांटे जाने थे।
    बताया जा रहा है कि बाबू ही एक्सईएन का पूरा काम देखता था। बाबू को पैसा देते समय इंजीनियर उसको यह बताना भूल गया कि ये रिश्वत के पैसे हैं। ऐसे में बाबू ने उस पैसे को बिजली बिल का एडवांस पेमेंट समझकर तब के विजया बैंक (मौजूदा समय इसको बैंक ऑफ बड़ौदा में मर्ज कर दिया गया है) के खाते में बिजली बिल के रूप में जमा करा दिया। उसको लगा कि किसी बड़े इंडस्ट्री वाले से एडंवास पैसा जमा कराया गया है।
    जब महीने के आखिर में पावर कॉर्पोरेशन के अकाउंट मिलाया जाने लगा तो पता चला कि अकाउंट में 54 लाख रुपये ज्यादा आ गए हैं। दूसरी तरफ जब घूस का पैसा बांटने की बारी आई तो पता चला कि वह तो गलती से बिल का अमाउंट समझकर सरकारी खाते में जमा करा गया है। इससे भन्नाये सीनियर अधिकारियों ने जांच बैठा दी।
    झूठे गवाह भी किये पेश, लेकिन खुल गई पोल : मामला खुला तो सच को छुपाने के लिए दोषी की तरफ से झूठे गवाह पेश कर दिए गए। लेकिन हर बार पोल खुल गई। हालांकि इस दौरान करीब डेढ़ साल से ज्यादा का समय लग गया। उसने पहले बताया कि पैसा कुछ लोगों से एडवांस लिया है, लेकिन उसके लिए पेश की गई दलील पकड़ में आ गई। उसने करीब 30 लोगों की एक सूची दी। बताया कि इन लोगों ने पैसा दिया था। यह एडवांस का पैसा है, लेकिन किसी की रसीद नहीं काटी गई थी। विभागीय नियमावली में इसे गलत पाया गया। साबित हुआ कि इस पैसे को खुद के लिए लिया गया था।
    झूठे एफिडेबिट दिये, लेकिन लोग नहीं मिले : पहला झूठ पकड़े जाने के बाद उसने सभी 30 लोगों का एफिडेविट जमा कर दिया। इसकी भी जांच बैठी। इसमें यह साबित हुआ कि सभी एफिडेविट एक ही जगह से बनाये गये है। इसके अलावा इन सभी लोगों की तरफ से जो अमाउंट बताया गया था, उसको जोड़ देने के बाद 32 लाख रुपये भी नहीं हो रहे थे। ऐसे में 22 लाख रुपए फिर भी ज्यादा निकल आए। अब इस झूठ को एक्सईएन और बाबू साबित नहीं कर पाए। मामले विभागीय नियमावली के तहत अधिकारी भी सीधे बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई।
    इसमें पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने कार्रवाई करते एक्सईएन और बाबू को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त होने वाले इंजीनियर संजय शर्मा और बाबू महेश कुमार हैं। वहीं मामले में एक और इंजीनियर को डिमोट किया गया है। हैरान करने वाली बात है कि घूस इंजीनियर ने ली थी और बर्खास्त बाबू को किया गया है। जबकि बाबू का कहना है, उसकी गलती बस इतनी है कि उसने घूस की रकम को बिजली बिल की रकम समझकर सरकारी खाते में जमा करा दिया।

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