सुनाई खरी-खरी
- केंद्रशासित प्रदेश की दैनिक गतिविधियों में दखल का उपराज्यपाल को हक नहीं: हाई कोर्ट
- अब सरकार को या सरकार की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं कर पाएंगी बेदी
- हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक अब सरकार से नहीं पूछेंगी किसी फाइल के बारे में
पुडुचेरी। कई महीनों से उपराज्यपाल किरण बेदी और पुडुचेरी सरकार के साथ जारी गतिरोध के बीच अब मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए साफ कहा है कि उपराज्यपाल किरण बेदी के पास केंद्रशासित प्रदेश की दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब बेदी पुडुचेरी सरकार से किसी भी फाइल के बारे में नहीं पूछ सकती हैं। वह न तो सरकार को और न ही सरकार की तरफ कोई आदेश जारी कर सकेंगी। मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले की अरविंद केजरीवाल ने तारीफ की है। केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि संविधान में सब साफ है। इसके बावजूद मोदी सरकार गैर-भाजपा सरकार को काम नहीं करने देती। गौरतलब है कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायामस्वामी ने फरवरी में उपराज्यपाल किरण बेदी पर राज्य के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया था। इसके बाद वह विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन के सामने धरने पर बैठ गए थे और वह मंत्रियों और विधायकों के साथ राजभवन के बाहर ही सोए थे। सीएम ने तब कहा था कि चुनी हुई सरकार के कार्यों में दखल देने और विकास कल्याण की योजनाओं को रोकने के विरोध में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने तब कहा था, उन्होंने (बेदी ने) हमारी मुफ्त चावल योजना को खारिज कर दिया और फाइल वापस कर दी। वह कौन हैं? वह चुनी हुई सरकार की योजनाओं और नीतियों को रोक नहीं सकतीं।’ सीएम ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने 7 फरवरी को खत लिखकर 36- चार्टर डिमांड को पूरा करने की मांग की थी लेकिन उन्हें बेदी का जवाब नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से बेदी उपराज्यपाल बनी हैं, वह सरकार के विकास कार्यों को रोक रही हैं। वह सरकार के फैसलों को नजरअंदाज कर रही हैं। बेदी का रवैया इस केंद्र शासित प्रदेश के विकास में बाधक बना हुआ है।