नौसेना के गोताखोरों ने झील की गहराई मापी

झील क्षेत्र में भेजी एसडीआरएफ क्यूडीए

चमोली। एसडीआरएफ के क्यूडीए (क्वीक डिपलोयेबल एंटीना) सिस्टम को रेणी गांव से ऊपर हिमालयी क्षेत्र में स्थित जल भराव क्षेत्र में हवाई मार्ग से सुरक्षित भेजा गया। झील क्षेत्र में 10 वैज्ञानिक एसडीआरएफ के 7 कर्मियों का एक दल झील में कार्य कर रहा है। जो झील से उत्पन्न खतरे का आकलन कर रहा है। इसके बाद इसका निराकरण हेतु तकनीकी परामर्श दिया जाना है। ऋषिगंगा नदी में रैंणी गांव के पास ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। नौसेना के गोताखोरों ने शनिवार को झील की गहराई मापने का कार्य किया है।
झील को लेकर खतरे की सही स्थिति का अंदाजा लगाने को अब वैज्ञानिकों का झील के पास पहुंच चुका है। झील से पानी की निकासी के उपाय वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मिलने के बाद किए जाएंगे। गौरतलब है कि ऋषिगंगा नदी से मची तबाही के दौरान चमोली जिले में मुरेंडा गांव से आगे ऋषिगंगा पर मलबे से करीब 300 मीटर लंबी झील बन गई है। इस बीच झील से तीन स्थानों से जल निकासी का पता चलने के बाद कुछ राहत मिली। शनिवार को नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से झील की गहराई माप डाली। क्या है क्यूडीए
क्यूडीए एक प्रकार से नो सिंगल एरिया से संचार स्थापित करने की नवीनतम टेक्नोलॉजी है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा को भेजने के लिए 1.2 मीटर क्यूडीए ( वी-एसएटी ) एंटीना टर्मिनलों और 1.2 मीटर स्टेटिक ( वी-एसएटी) यानी वैरी स्माल एप्रेचर टर्मिनल एंटीना टर्मिनल का उपयोग होता है। यह विभिन्न वीसैट टर्मिनल के साथ उपग्रह आधारित संचार स्थापित करने में मदद करता है, वॉयस और वीडियो संचार को दूरस्थ से दूरस्थ वीसैट टर्मिनलों तक संप्रेषित किया जाता है। 1.2 मीटर क्यूडीए वीएसएटी एक पोर्टेबल सिस्टम है जो अलग-अलग रिमोट एरियाज में तुरंत स्थापित किया जा सकता है और किसी भी इलाके में स्थापित हो सकता है।
यह टेक्नोलॉजी किसी ऐसे क्षेत्र जहां किसी प्रकार का संचार का साधन नहीं है पर उपयोग करने पर तत्काल सेटेलाइट से सम्पर्क स्थापित कर लाइव ऑडियो और वीडियो कॉल की सुविधा देता है।
क्यूडीए स्टैटिक और मोबाइल दो प्रकार का होता है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए आपदा के दौरान स्टेटिक क्यूडीए
को एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय जोलीग्रांट यूएसडीएमए। देहरादून पीआर पर स्थापित किया गया है। जबकि इसके एक अन्य पार्ट को अथवा किसी अन्य उपयुक्त स्थान में स्थापित किया जा सकेगा और मोबाइल क्यूडीए को तत्काल हेलीकॉप्टर की सहायता से सम्बंधित क्षेत्रो में भेजकर स्थापित किया जाएगा। जहां से आपदा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्र की स्थिति एवं नुकसान की जानकारी तत्काल प्राप्त हो सकेगी साथ ही बचाव के लिए सशक्त योजना के अनेक विकल्प प्राप्त हो सकेंगे।
सीएम ने किया था क्यूडीए सिस्टम का शुभारंभ
कुछ माह पूर्व ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय स्थित कन्ट्रोल रूम से क्यूडीए सिस्टम का शुभारंभ किया था। शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री ने मलारी, गूंजी और त्यूणी जैसे दुरस्थ क्षेत्रांे के ग्रामीणों से क्यूडीए से वीडियो कॉल कर वार्तालाप किया था।

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