उत्तराखंड के 63 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की होगी जांच, विभाग ने टीमें की गठित

देहरादून। 19 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली जिले में हुए हादसे से पूरा देश हिल गया था। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट फैलने से 16 लोगों की जान चली गई थी। 11 लोगों को करंट ने बुरी तरह झुलसा दिया था। इसके बाद देहरादून से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया था।

चमोली में एसटीपी प्लांट में हुए हादसे के बाद धामी सरकार गंभीर नजर आ रही है। चमोली में अलकनंदा के किनारे एसटीपी प्लांट में करंट लगने से हुए हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य के एसटीपी प्लांट की जांच के आदेश दिए हैं। प्रदेश के 63 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जांच विद्युत सुरक्षा विभाग करेगा। सचिव पेयजल ने इस संबंध में पत्र भेजा था, जिस पर विभाग ने टीमों का गठन कर दिया है। विद्युत सुरक्षा विभाग पहले हर प्लांट में कमियां बताएगा। पेयजल विभाग इन्हें दूर करेगा। इसके बाद विद्युत सुरक्षा विभाग दोबारा जांच करेगा और तभी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। ये सर्टिफिकेट ही उस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुरक्षा का पैमाना माना जाएगा।

यूपीसीएल के मुख्य अभियंता एमआर आर्य के निर्देशों के मुताबिक, मुख्य सचिव ने अपने आदेश में सभी कार्यालयों व महत्वपूर्ण संस्थानों में विद्युत सुरक्षा संबंधी उपाय का परीक्षण कर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने को कहा है। इसके अंतर्गत नमामि गंगे परियोजना व अन्य सभी परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि वीसीबी, एमसीसीबी प्रोटेक्शन उपकरण सही प्रकार से काम कर रहे हैं या नहीं।

किसी भी प्रतिष्ठान में विद्युत सुरक्षा में लापरवाही नजर आने पर संबंधित विभाग को नोटिस जारी किया जाएगा, जिसकी प्रति विद्युत सुरक्षा विभाग को भी भेजी जाएगी। इसके अलावा सभी ट्रांसफार्मर की फेंसिंग, केबल ड्रेसिंग, अर्थिंग चेक की जाएगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि केबल में किसी प्रकार का ज्वाइंट न हो। एलटी केबल ट्रांसफार्मर की एलटी बुशिंग पर एलयूजी से लगी हो। साथ ही एचटी, एलटी फ्यूज सही लगे हों, जिससे किसी भी दुर्घटना की आशंका न रहे।

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