रोज 800 युवाओं को शिकार बना रहा हार्ट अटैक!

खतरे की घंटी

  • देश में करीब 20 करोड़ युवा उच्च रक्तचाप के मरीज और इनकी उम्र 30 वर्ष से कम
  • हर साल होने वाली देशभर की कुल मौतों में 19 फीसद होती हैं हृदयरोग से संबंधित
  • एक अटैक आने के बाद 60 फीसद तक प्रभावित हो जाती है दिल की क्षमता
  • वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार इससे दुनिया में 1.71 करोड़ लोगों की हो रही मौत
  • तनाव मुक्त जीवनचर्या, पूरी नींद, योग, ध्यान, प्राणायाम और पैदल चलना एकमात्र इलाज

नई दिल्ली। आज की भागदौड़भरी जिंदगी के चलते  अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण, कम नींद आदि कारणों के चलते आज देश में रोज 800 से ज्यादा युवा हार्ट अटैक के चलते मौत का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही देश का हर चौथा युवा हृदयाघात की दहलीज पर खड़ा है। इनमें आधे से ज्यादा युवा तो अपने रोग के बारे में जानते तक नहीं। बाकी जानकर भी अंजान हो जाते हैं। यही वजह है कि मात्र 10 फीसद युवा रोगी उपचार के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान (आईसीएमआर) की हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार देश के प्रत्येक चार में से एक युवा को उच्च रक्तचाप की शिकायत है। यदि ज्यादा दिन तक इसका उपचार नहीं कराया जाए तो हृदय पर बुरा असर पड़ता है। क्षमता से करीब तीन गुना दबाव होने के कारण हृदय की पंपिंग प्रभावित हो जाती है और मरीज हृदयाघात की चपेट में आ जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार देश के 100 जिलों में उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए निशुल्क जांच आदि राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शुरू कर चुकी है। एम्स में आए दिन ऐसे मामले पहुंच रहे हैं।
एम्स के हृदय रोग विभाग के वरिष्ठ डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि हृदयरोग और हृदयाघात के कम उम्र में काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। इन मरीजों को बचा पाने में डॉक्टरों के आगे सबसे बड़ी चुनौती गोल्डन ऑवर है। विदेशों में हृदयाघात के करीब दो घंटे के भीतर उपचार मिल जाता है, जबकि भारत में ये करीब छहे घंटे के बाद होता है। यही वजह है, देश में सालाना 30 लाख हृदयाघात के मामलों में से कुछ ही फीसद को डॉक्टर बचा पाते हैं।
मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित आईसीएमआर के एक और अध्ययन के अनुसार वर्ष 1990 से 2016 के बीच भारत में हृदयाघात से होने वाली मौत में कई गुना वृद्धि हुई है। इनमें 50 फीसद से ज्यादा की मौत समय से पहले हुई है। करीब 22.9 फीसद ग्रामीण और 32.5 फीसदी शहरी क्षेत्रों में मौत हो रही हैं। वर्ष 1990 में करीब ढाई करोड़ लोग हृदय रोग ग्रस्त थे, जिनकी संख्या अब छह करोड़ से भी ज्यादा है। एम्स के अनुसार, करीब 25 फीसद सालाना मौत 25 से 65 वर्ष की आयु के बीच हो रही हैं।
डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के अलावा मधुमेह, अनियंत्रित जीवनशैली, नशा आदि हृदय को बीमार कर रहा है, लेकिन ऐसे मरीज बीच में ही दवाएं छोड़ देते हैं। एम्स में हर दिन ऐसे कई मरीज आते हैं, जो पूरा उपचार नहीं लेते हैं, जबकि इन मरीजों में हृदयाघात या हृदय रोग दोहरी गति से हावी होता है।
दूसरी ओर आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार अगर आप हृदयरोग से खुद को और अपने परिजनों को बचाना चाहते हैं तो प्रतिदिन भोजन में अदरक, लौंग, लहसुन, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, तेजपत्ता, सेंधा नमक का उपयोग करें। इसके साथ ही तनावमुक्त दिनचर्या, पूरी नींद, योग, ध्यान, प्राणायाम के प्रतिदिन पैदल भी चलने की आदत डालनी होगी।

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