
पुणे।महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 1 जुलाई को 2 प्रेग्नेंट महिलाओं में वायरस की पुष्टि होने के साथ, पिछले 11 दिनों में मरीजों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। ये दोनों नए केस एरंडवाने में मिले हैं। 21 जून को पुणे में जीका वायरस का सबसे पहला केस एक डॉक्टर में मिला था। इसके बाद उनकी 15 साल की बेटी भी संक्रमित मिली थी। दोनों उसी इलाके में रहते हैं, जहां 2 नए मामले मिले हैं।
स्वास्थ्य विभाग अलर्ट…
जीका वायरस से संक्रमित सभी 6 मरीजों के स्वास्थ्य पर डॉक्टर नजर रखे हुए हैं। इन मरीजों में शरीर पर लाल चिकत्ते पड़ना, बुखार और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण देखे गए हैं। इनका इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, किसी व्यक्ति में जीका वायरस का संक्रमण एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह वायरस इसलिए भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह एक से दूसरे में फैलता रहता है। हालांकि, शुरुआत में इस वायरस से संक्रमित मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
जीका वायरस कब आया…
1947 में इस वायरस का पहला केस सामने आया. युगांडा में बंदरों में इस वायरस का संक्रमण देखने को मिला था। हालांकि, इंसानों में जीका का पहला केस 1952 में सामने आया था। बीते कुछ सालों में अलग-अलग देशों में जीका के केस देखने को मिले हैं। अक्टूबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच ब्राजिल में जीका के हजारों मामले सामने आए। इस देश में 4000 बच्चों में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
जीका वायरस के संक्रमण के लक्षण…
तेज बुखार होना।
लगातार सिर में दर्द रहना।
जॉइंट्स में दर्द होना।
आंखों में लालिमा आना।
स्किन पर लाल स्पॉट होना।
जीका वायरस के बचाव के उपाय…
मच्छरों से बचाव करना जीका से बचने का सबसे पहला स्टेप है।
खुद को ढक कर रखें जिससे आपको मच्छर न काट सकें।
अपने आसपास पानी न जमा होने दें, जिससे मच्छरों को पनपने में आसानी हो।
रात में सोते समय मच्छरदानी या मच्छरों के लिए रेप्लीकेंट्स का प्रयोग करें।
इसके साथ ही जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति से आपको दूरी बना लेनी चाहिए।