कंगना रनौत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, इस बयान में फंसी…कोर्ट ने जारी किया नोटिस

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आगरा। किसाना आंदोलन के दौरान टिप्पणी करने और महात्मा गांधी के बारे में बयानबाजी करने वाली बीजेपी सांसद, फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ राष्ट्र द्रोह एवं किसानों के अपमान के मामले में कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया है। किसान आंदोलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर दिए गए बयान के मामले में आगरा के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट की तरफ से कंगना रनौत को नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने नोटिस के माध्यम से कंगना रनौत जवाब मांगा है।

कंगना के खिलाफ एडवोकेट रमाशंकर शर्मा ने स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए में वाद दायर किया गया था। इसकी सुनवाई मंगलवार को हुई। कोर्ट ने कहा कि कंगना रनौत अपना पक्ष कोर्ट में आकर रखे। इसके लिए न्यायाधीश ने उन्हें नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले को लेकर एडवोकेट रमाशंकर शर्मा ने कहा, मैंने भाजपा सांसद कंगना रनौत के खिलाफ एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में मामला दर्ज कराया था। 27 अगस्त को हमने उनका एक बयान पढ़ा, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर बांग्लादेश के हालात तक की बात कही। उन्होंने एक और बयान दिया जो 17 नवंबर 2021 को अखबारों में छपा, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी का अपमान किया।”

11 सितंबर को दायर हुआ था वाद

कंगना रनौत के खिलाफ आगरा के सीनियर एडवोकेट राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमाशंकर शर्मा ने 11 सितंबर 2024 को एक वाद दायर किया था। इस वाद में कहा गया कि 27 अगस्त 2024 को कंगना रनौत ने एक बयान जो अखबारों में छपा था पढ़ा, जिसमें कंगना ने कहा कि अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक जो किसान दिल्ली बॉर्डर पर काले कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे थे, वहां हत्याएं हो रही थीं, बलात्कार हो रहे थे और अगर उस समय देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो देश में बांग्लादेश जैसे हालात पैदा हो जाते। कंगना रनौत पर वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने आरोप लगाया है कि कंगना रनौत ने देश के करोड़ों किसानों का अपमान किया है। किसानों को हत्यारा बलात्कारी और उग्रवादी तक कह दिया है।

ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि कंगना रनौत ने 2021 में किसान आंदोलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर बयानबाजी की थी। उन्होंने कहा था कि गाल पर चांटा खाने से भीख मिलती है आजादी नहीं। कंगना ने कहा था कि देश को असल मायने में आजादी 2014 के बाद मिली है। साथ ही किसान आंदोलन को लेकर कहा था कि कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन में खालिस्तानी आतंकी शामिल है। इन दोनों ही बयानों के बाद कंगना का जबरदस्त विरोध भी हुआ था।

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