देहरादून। भाजपा ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर आए हरक सिंह रावत को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने बड़ा कदम उठाते हुए अपनी ही सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा सख्त कदम उठाने से पहले पार्टी ने भी अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं करने का हवाला देकर रावत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है।
जिसके बाद बीजेपी से निकाले गए हरक सिंह रावत ने दो टूक कहा है कि अगले महीने होने वाले विधान सभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि वो बिना किसी शर्त के कांग्रेस के लिए काम करते रहेंगे।
बीजेपी से निष्कासन के बाद मीडिया से बात करते हुए रावत ने कहा, ठहमाम में सब नंगे हैं। बीजेपी में मैं सबको ऊपर से नीचे तक जानता हूं। पिछले पांच साल में ये लोग कुछ नहीं कर सके। रोजगार दिया नहीं, विकास किया नहीं, उल्टे महंगाई बढ़ा दी है। तो इनको कुछ न कुछ आरोप लगाकर तो निकालना था। ” उन्होंने कहा, “जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं मारने चाहिए। “
उन्होंने बताया कि दो दिन पहले वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे और चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी लेकिन पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। बताया जाता है कि हरक सिंह रावत अपनी बहू अनुकृति के लिए लैंसडौन विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे। लेकिन भाजपा ने साफ तौर पर उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जा सकता। भाजपा आलाकमान ने यह सख्त एक्शन लेकर हरक सिंह रावत के समर्थक विधायकों और पार्टी पर दवाब डालने की कोशिश करने वाले तमाम नेताओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अब किसी भी कीमत पर अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी।