- पाकिस्तान में घुसे भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को नहीं पकड़ पाये उसके रडार
- रडारों की नाकामयाबी से भारतीय वायुसेना के हमले के दौरान पाकिस्तान हुआ हक्का-बक्का
- खुद पाकिस्तानी मीडिया उठा रहा चीनी रडार व अन्य सैन्य साजो सामान की गुणवत्ता व विश्वसनीयता पर सवाल
मंगलवार तड़के पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकी ठिकानों पर हमले से जहां पाकिस्तान लड़खड़ा गया है वहीं चीन भी बौखला गया है।
चीन के बौखलाने की वजह यह है कि पाकिस्तान में घुसे भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को उसके रडार नहीं पकड़ पाये । रडारों की नाकामयाबी से पाकिस्तान भारतीय वायुसेना के हमले के दौरान हक्का बक्का रह गया और कुछ नहीं कर सका। सोशल मीडिया पर खुद पाकिस्तान के लोग चीनी रडार और अन्य सैन्य साजो सामान की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के पास एफ—16 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं, लेकिन रडार व अन्य सैन्य जरूरतों के लिये वह चीन पर निर्भर रहता है। आज की तारीख में पाकिस्तान का सबसे बड़ा खैरख्वाह चीन ही है और चीन की जिद के चलते जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है।
गौरतलब है कि मंगलवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे भारतीय वायुसेना के 12 लड़ाकू विमानों ने एलओसी पार कर पाकिस्तान के भीतर हवाई हमले कर कई आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। इस हमले में करीब 300 आतंकी मारे गए हैं। भारतीय वायुसेना के 12 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में कई आतंकवादी समूहों के शिविरों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। भारतीय वायुसेना के 12 मिराज लड़ाकू विमानों ने तड़के साढ़े तीन बजे मुजफ्फराबाद, बालाकोट और चकोटी जैसे क्षेत्रों में भारी बमबारी की जिसमें पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कई कैंप पूरी तरह जमींदोज हो गये। इस कार्रवाई में करीब 300 आतंकवादियों के मारे जाने की भी बात कही जा रही है। भारतीय वायुसेना ने करीब 21 मिनट तक इस ऑपरेशन को चलाया। इस दौरान 12 मिराज विमानों ने पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों पर 1000 किलो बम डालकर उन्हें तबाह कर दिया। भारतीय वायुसेना के हमले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है और चीनी रडारों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाये जाने लगे हैं।
इससे चीन की अति महत्वाकांक्षी योजना चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) जो बलूचिस्तान और गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरती है, पर भी अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। उधर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने भी पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया हैं। इसमें भी भारत ने आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के लिए वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की थी।
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पुलवामा हमले की निंदा करते हुए जो प्रस्ताव पारित किया है उसमें चीन की आपत्ति को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान के साथ जैश-ए-मोहम्मद का भी जिक्र किया गया है। भारत ने आज तक जब भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का मुद्दा उठाया है तब-तब चीन ने इसका विरोध किया है। उधर दक्षिण चीन सागर में भी भारत द्वारा अन्य देशों का साथ देने से भी चीन को झटका लगा है।