हरिद्वार और गढ़वाल सीट पर भाजपा का तुरुप का इक्का कौन? इस दिन हो सकती है प्रत्याशियों की घोषणा

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देहरादून। उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीटों पर हैट्रिक का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी भाजपा प्रत्याशी चयन के मामले में फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। गढ़वाल और हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा किस पर दाव खेलेगी इस बारे में नई दिल्ली में मंथन का दौर जारी है। दोनों सीटों को लेकर भाजपा के भीतर कश्मकश की स्थिति है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों सीटों पर दावेदारों के संबंध में और फीडबैक जुटाया है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए देश के विभिन्न राज्यों के लिए जिन 195 प्रत्याशियों की सूची जारी की, उनमें उत्तराखंड की तीन सीटों के प्रत्याशी भी शामिल हैं। पार्टी ने टिहरी से माला राज्य लक्ष्मी शाह, अल्मोड़ा से अजय टम्टा और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया है। तीनों ही वर्तमान में इन सीटों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

गौरतलब हो कि गढ़वाल सीट पर तीरथ सिंह रावत सांसद हैं। 2019 में जब पार्टी ने उन्हें इस सीट पर प्रत्याशी बनाया था, तब उन्हें जनरल बीसी खंडूड़ी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया गया था। सांसद रहते हुए तीरथ को एक बार राज्य का मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी मिला। मगर जिस चौंकाने वाले अंदाज में वह मुख्यमंत्री बनें, उसी अंदाज में उनकी मुख्यमंत्री पद से विदाई हो गई। माला, अजय भट्ट और अजय टम्टा की तरह तीरथ भी अपना टिकट बरकरार रखने की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन टिकट रोक कर केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत साफ कर दिए हैं कि वह दूसरे विकल्प पर मंथन कर रहा है।

इस सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। हालांकि अब त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी गढ़वाल सीट पर तेजी से उछला है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की हरिद्वार और गढ़वाल दोनों सीटों से दावेदारी है। ऐसी स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व को सही उम्मीदवार तलाशने के लिए कुछ और फीडबैक जुटाना पड़ रहा है। पार्टी के भीतर ही एक खेमा पांचों सीटों पर सभी सांसदों को उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत कर रहा है। लेकिन दूसरी पांत में शामिल नेताओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि पार्टी नए चेहरों पर दांव लगाए। हरिद्वार सीट पर खांटी राजनीतिज्ञ डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं।

माना जा रहा है कि तीरथ और डॉ. निशंक भी अपनी उम्मीदवारी को लेकर चुप नहीं बैठे हैं और अपने-अपने राजनीतिक संबंधों के जरिये प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब सबकी निगाहें केंद्रीय नेतृत्व पर लगी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि छह मार्च को पार्टी दोनों सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। तब तक पार्टी के भीतर दोनों सीटों पर दावेदारों को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाता रहेगा।

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