बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से उत्तराखंड परिवहन विभाग वसूलेगा ग्रीन सेस, जानिए कैसे

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देहरादून। उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों के लिए परिवहन विभाग अब सीमाओं पर स्वचालित वाहन ग्रीन सेस संग्रह प्रणाली (एवीजीसीसीएस) शुरू करने जा रहा है। इसके लिए कंपनी की तलाश तेज हो गई है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ग्रीन सेस वसूलने की अधिसूचना जारी हुई थी। लेकिन, यह प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाई है। विभाग ने पहले टोल प्लाजा के माध्यम से ग्रीन सेस वसूली की योजना बनाई थी लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया है। जिसके तहत इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर से ऑटोमेटिक व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत करने जा रही है।

इस प्रक्रिया के अनुसार, वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा और सीधे एनपीसीआई को जानकारी के लिए रिक्वेस्ट भेजेगा। जिसके बाद संबंधित वाहन का फास्टैग वॉलेट चिन्हित हो जाएगा और उस खाते से ग्रीन सेस का पैसा खुद ही कट जाएगा। हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकेंड में ही संपन्न हो जाएगा। बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस लेने के दो फायदे हैं। पहला प्रदेश में आने वाले लाखों वाहनों से जहां एक ओर राज्य सरकार को ग्रीन सेस के जरिए राजस्व मिलेगा। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में आने वाले वाहनों की जानकारी भी सरकार के पास मौजूद होगी।

पिछले कुछ सालों से देश में भारत सीरीज के नंबर मिल रहे हैं। इसके साथ ही तमाम वाहन ऐसे भी हैं, जिनका नंबर किसी अन्य राज्य का है। लेकिन वो उत्तराखंड में पंजीकृत है। हालांकि, इन वाहनों के नंबर की जानकारी एएनपीआर कैमरे और सॉफ्टवेयर से मिल जाएगी। लेकिन इनका वाहन पोर्टल से रजिस्टरिंग अथॉरिटी कोड लेने के लिए अब परिवहन विभाग, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र भेजने जा रहा है।

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