नई दिल्ली। देश में दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी के करीब 75000 रोगियों के लिए राहत भरी खबर है, ऐसा कहा जा रहा है कि 2025 से इन मरीजों की रिकवरी रेट इम्प्रूव होगी। दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नए उपचार बीपीएएलएम रेजिमेन को शुरू करने की मंजूरी दी है, जिससे मरीजों को 20 माह के ईलाज के बजाय छह माह में ही बीमारी से निजात मिल सकती है। इसकी सफलता दर भी ज्यादा है और ईलाज का खर्च भी कम है।
एमडीआर टीबी के नये उपचार को मंजूरी…
बीपीएएलएम रेजिमेन में बेडाक्विलाइन और लाइनजोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ/बिना) के संयोजन में प्रीटोमैनिड नामक एक नई एंटी-टीबी दवा शामिल है। प्रीटोमैनिड को पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ओर से भारत में उपयोग के लिए अनुमोदित और लाइसेंस दिया जा चुका है।
टीबी के मरीजों को अब 6 महीने में मिलेगा इलाज…
जानकारी के अनुसार अभी तक इंडिया में टीबी के मरीजों का पूरा कोर्स करीब 20 महीने का होता है। जबकि अब नई पद्वति से इस कोर्स की अवधि 6 महीने ही होगी। चार नई एंटी-टीबी दवाओं से टीबी के मरीज का जल्द इलाज करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार के अनुसार जिन नई दावाओं को इलाज में शामिल किया गया है उन सभी को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से अनुमति मिली हुई है।
देश में फिलहाल 75000 दवा प्रतिरोधी टीबी मरीज…
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में फिलहाल 75000 दवा प्रतिरोधी टीबी मरीज हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर-टीबी) के खिलाफ इन नई और प्रभावी उपचार पद्धति बीपीएएलएम को मंजूरी दी है।