त्रिवेंद्र साहसिक फैसले लेने वाले सीएम, लेकिन… : जोशी

तार्किक ढंग से रखी अपनी बात

  • – कर्मचारी नेता ने मुख्यमंत्री से की आरक्षण रोस्टर व क्रीमीलेयर पर न्यायसंगत फैसला लेने की अपील
  • – गैरसैंण, आईएएस निलंबन, पदोन्नति में आरक्षण समाप्ति समेत कई निर्णय बने मील के पत्थर

देहरादून। ‘मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के उन मुख्यमंत्रियों में शुमार हैं, जिन्होंने प्रदेश हित में साहसिक फैसले लिये है, कर्मचारी संगठन राज्य के जनहितकारी निर्णयों पर मुख्यमंत्री को बधाई देता है और साथ ही उम्मीद करता है कि कर्मचारियों के हित में भी वह कुछ बड़े फैसले लेने की पहल करेंगे। यह कहना है उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष व सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का। जोशी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होने कहा है कि मतभेद मुद्दों पर होते हैं व्यक्तित्व पर नहीं। प्रदेश सरकार से हमारी लड़ाई मात्र उन नीतियों पर चल रही है जिन्हें कर्मचारी अपने हित में नहीं महसूस कर रहे हैं।
जोशी ने कहा कि हमारे पास निर्णायक क्षमता रखने वाले मुख्यमंत्री हैं। जिन्होंने मात्र तीन वर्ष के कार्यकाल में राज्यहित में राजनीतिक एवं व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर अनेक साहसिक फैसले लिये हैं। उत्तराखंड के पिछले किसी भी मुख्यमंत्री में इतने साहसिक फैसले लेने का जज्बा नहीं दिखा। त्रिवेंद्र सिंह रावत की कार्यशैली व निर्णय लेने की क्षमता के वह कायल हैं।  उत्तराखंड का निर्माण आरक्षण के विरुद्ध आंदोलन से प्रारंभ हुआ था और अब राज्य की 8 फीसद जनता आरक्षण के दंश को झेल रही है। उसी लड़ाई को जनरल ओबीसी संगठन आगे बढ़ा रहा हैं। हालांकि अभी तक जो भी निर्णय हुए हैं, वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुए। पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने का आदेश राज्य सरकार ने दिया है।
कर्मचारी नेता ने कहा कि अब सीधी भर्ती में रोस्टर के साथ ही, एट्रोसिटी एक्ट, क्रीमीलेयर आदि को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार जनहित एवं राज्यहित में अनेक साहसिक निर्णय लिए है ऐसे में कर्मचारियों की भी उनसे उम्मीदें बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के 19 वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर है जब भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में किसी मुख्यमंत्री ने कड़े कदम उठाते हुए एनएच—74 वाले मामले में जांच में प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए दो आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड किया। आयुर्वेद विवि के कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा का प्रकरण हो या समाज कल्याण विभाग का छात्रवृत्ति घोटाला, आरोपी अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ी।
उन्होंने कहा कि राज्य के अब तक के नौ मुख्यमंत्रीयों से अलग हटकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य आंदोलनकारियों व लाखों प्रदेशवासियों का सपना साकार करते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। राजनीतिक लाभ-हानि से ऊपर उठ कर चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन करना उनकी निर्णायक क्षमता को दर्शाता है। फिजूलखर्ची को नियंत्रित करने की दिशा में अधिकारियों की विदेश यात्रायों पर रोक लगा सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने को लेकर बेहद अहम कदम उठाया है। अब उन्हें मुख्यमंत्री से इस बात की उम्मीद है कि वह कर्मचारियों के हित में फिर कोई बड़ा साहसिक फैसला लेंगे।

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