सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं को स्थायी कमीशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा 15 अगस्त 2018 को की गई घोषणा के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते हुए रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र सेनाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। भारतीय वायु सेना में भी फाइटर पायलट सहित सभी शाखाएँ अब महिला अधिकारियों के लिए खुली हैं।

भारतीय नौसेना में अल्‍प सेवा कमीशन (एसएससी) के माध्यम से महिला अधिकारियों को शामिल करने के लिए, सभी गैर-समुद्रीय शाखाएँ/संवर्ग/विशेषज्ञता में अवसर उपलब्‍ध कराए गए हैं। शिक्षा, कानून और नौसेना कंस्ट्रक्टर शाखा/संवर्ग के अलावा, महिला एसएससी अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों के अनुसार, नौसेना आयुध शाखा में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए पात्र बनाया गया है।भारतीय नौसेना के लिए तीन नए प्रशिक्षण जहाजों को शामिल करने के प्रस्‍ताव पर प्रक्रिया चल रही है। यह पुरुषों और महिला अधिकारियों दोनों के प्रशिक्षण के लिए अपेक्षित आधारभूत सुविधा प्रदान करेगा। प्रशिक्षण जहाजों के चलने के बाद भारतीय नौसेना सभी शाखाओं में महिलाओं को शामिल करना शुरू कर देगी।

महिला अधिकारियों को भारतीय सेना की उन सभी दस शाखाओं में स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा, जहाँ महिलाओं को लघु सेवा कमीशन के लिए शामिल किया गया है। इसलिए, जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) और सेना शिक्षा कोर की मौजूदा दो शाखाओं के अलावा, अब स्‍थायी कमीशन को सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर और इंटेलिजेंस में महिला अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। एसएससी महिला अधिकारी कमीशन सेवा के चार साल पूरा होने से पहले स्‍थायी कमीशन के लिए अपना विकल्प देंगी और वे स्‍थायी कमशीन मिलने और उनकी विशेषज्ञता के विकल्प का उपयोग करेंगी।
पिछले वर्ष लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे द्धारा बताया गया की भारतीय सेना में 1561, वायुसेना में 1594 और नौसेना में 644 महिला अधिकारी कार्यरत हैं। भारतीय सशस्त्र सेनाओं में सन 1992 में महिला अधिकारीयों को कमीशन देने की शुरुआत की गयी थी।

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