वक्त की हर शै गुलाम
- भाजपा में दिल्ली हार पर मंथन और सोशल मीडिया में उत्तराखंड के सीएम बदलने की चर्चाओं पर त्रिवेंद्र ने दिया जवाब
- मुख्यमंत्री बोले, उनका पूरा ध्यान पहाड़ की पहाड़ सी समस्याओं से सदियों से जूझ रहे लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने पर
- कहा, भाजपा सरकार के घोषणापत्र में की गई घोषणाओं में से 75 प्रतिशत पूरी की जा चुकी हैं और बाकी भी तय समयावधि में होंगी पूरी
- उनकी अपनी की गई घोषणाओं में से 57 प्रतिशत साकार रूप ले चुकी हैं, बाकी घोषणाओं पर भी जोरों से चल रहा काम
- उनका बोलने में कम और करने में ज्यादा विश्वास क्योंकि काम बोलता है, खत्म होगा कुर्सी पर बैठकर ‘ज्ञान’ बघारने का ढर्रा
- ‘मेरे मौन और सज्जनता को मेरी कायरता समझने वाले लोग गलतफहमी में, वक्त ही देगा ऐसे सारे सवालों का जवाब
- ये वो लोग हैं जिनके पास न तो उत्तराखंड के विकास को लेकर कोई योजना है और न ही उत्तराखंडियों की पीड़ा से कोई सहानुभूति
- सरकार किसी भी पार्टी की हो, मुख्यमंत्री कोई भी हो, उन्हें तो सिर्फ अपनी ‘दुकान’ चलाने और अपना उल्लू सीधा करने से मतलब
- मेरी भ्रष्टाचारमुक्त सरकार में आजकल ठप हो गई है उनकी ‘दुकानदारी’, इसलिये तिलमिलाकर बेपर की उड़ाने में लगे हैं वे लोग
देहरादून। एक तरफ भाजपा हाईकमान दिल्ली चुनाव में मिली करारी शिकस्त पर ‘मंथन’ में जुटा है तो दूसरी ओर सोशल मीडिया में इस मंथन के ‘नतीजे’ के तौर पर उत्तराखंड समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदलने की बात की जा रही है। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मिशन-2022 फतह करने के लिए भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने वाली है। सवाल यह उठ रहा है कि सूबे में इस तरह से सियासी अस्थिरता का माहौल बनाने के पीछे कौन है। इसी अस्थिरता वाले माहौल चलते सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार इस बारे में पूछने पर कि आजकल सोशल मीडिया पर उत्तराखंड समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदलने जैसी कई तरह की बातें की जा रही हैं। जिनमें कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मिशन-2022 फतह करने के लिए भाजपा आलाकमान मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने जा रहा है, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि उनके पदभार संभालने के दिन से ही इस तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अब गयी और तब गयी। इन अफवाहों के बीच तीन साल गुजर गये और बाकी दो साल भी ऐसे ही गुजर जाएंगे। उन्हें मालूम हैं कि इन अफवाहों के पीछे कौन लोग हैं, लेकिन वह उनकी परवाह नहीं करते क्योंकि वह काम करने में विश्वास रखते हैं, खाली बातों में नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका पूरा ध्यान पहाड़ की पहाड़ सी समस्याओं से सदियों से जूझ रही पीढ़ी दर पीढ़ी माताओं, बहनों, बुजुर्गों और युवाओं के जीवन को खुशहाल बनाना है। मेरे मौन और सज्जनता को मेरी कायरता समझने वाले लोग गलतफहमी में हैं। मैंने खामोशी से ऐसे सवालों का जवाब देने का हक वक्त को दे रखा है जो सही समय और सही जगह पर सही जवाब दे देगा।
हालांकि उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जिनके पास न तो उत्तराखंड के विकास को लेकर कोई ठोस योजना है और न ही उत्तराखंडियों की पीड़ा से कोई सहानुभूति है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, मुख्यमंत्री कोई भी हो, उन्हें तो सिर्फ अपनी ‘दुकान’ चलाने और अपना उल्लू सीधा करने से मतलब है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये लोग बाहर के नहीं हैं बल्कि ‘घर’ के ही हैं क्योंकि आजकल उनकी ‘दुकानदारी’ ठप हो गई है, इसलिये वे लोग तिलमिलाकर बेपर की उड़ाने में लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, हालांकि प्रदेश में इस तरह से सियासी अस्थिरता का माहौल बनाने के कई साइड इफेक्ट भी दिखे हैं। इसी अस्थिरता वाले माहौल चलते सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो जाता है। त्रिवेंद्र ने तंज कसते हुए कहा कि सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज की न केवल कागजी समीक्षा कर ली गई, बल्कि यह भी बता दिया गया कि अगर मौजूदा नेतृत्व के साथ ही भाजपा 2022 के चुनाव में गई तो नतीजे बेहद खराब आने वाले हैं। पिछले कई रोज से सोशल मीडिया में संभावित मुख्यमंत्रियों के नाम भी चलाए जा रहे हैं। एक का नाम आगे बढ़ता है तो उसकी टांग खिंचाई शुरू हो रही है। सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री को लेकर सर्वे भी चल रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि राज्य में सियासी अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। गौरतलब है कि कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की एक फेसबुक पोस्ट ने इसे और भी बढ़ा दिया है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा कि इसके पीछे आखिर है कौन। यह भाजपा हाईकमान को तय करना है कि मुख्यमंत्री बदलेगा या नहीं। ऐसे में सोशल मीडिया में रायशुमारी या फिर 2022 के चुनाव नतीजों की बातें क्या किसी के इशारे पर हो रही हैं। इन अफवाहों का खोखलापन इस बात से साफ हो जाता है कि अगर मान लिया जाए कि भाजपा आलाकमान यह तय भी करता है कि मुख्यमंत्री को बदला जाए तो क्या इसका खुलासा सबसे पहले सोशल मीडिया में इस तथ्य को लीक करके या बताकर किया जाएगा।
भाजपा अपने मुख्यमंत्री को बदलेगी या नहीं, यह तो पार्टी हाईकमान को ही तय करना है। हालांकि अफवाहों के चलते फिलहाल बनाए जा रहे सियासी अस्थिरता के माहौल का असर सरकारी कामकाज पर पड़ता दिख रहा है। दिलचस्प बात यह है कि देवभूमि की ब्यूरोक्रेसी भी अपने काम पर ध्यान देने की बजाय इन चर्चाओं में मशगूल दिखती है जो एक शुभ संकेत नहीं है।
दूसरी ओर सियासत पर गहरी पकड़ रखने वाले जानकारों के अनुसार उत्तराखंड में विकास को धार देने के लिये मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक और सार्थक पहल मंथन कार्यक्रम के रूप में सामने आई है। जिसमें उन्होंने कार्यशैली में आमूलचूल बदलाव के संकेत देते हुए साफ कर दिया कि चाहे वह खुद हों, कोई मंत्री हो, विधायक हो या फिर नौकरशाह, सभी को अपनी अपनी जिम्मेदारी के प्रति जवाबदेह होना ही होगा। मनमानी किसी की भी नहीं चलेगी। त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखंड की जनता का खुशहाल जीवन उनकी पहली प्राथमिकता है। इसके लिये वह खुद अपनी सीमाओं से पार जाकर भी काम करने के लिये संकल्पित हैं।
मंथन कार्यक्रम में त्रिवेंद्र ने कहा कि इस समय भाजपा सरकार कोरी घोषणाओं पर नहीं चल रही है। उन्होंने बकायदा आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि पिछले तीन सालों में भाजपा सरकार के घोषणापत्र में की गई घोषणाओं में से 75 प्रतिशत पूरी की जा चुकी हैं और बाकी भी निर्धारित समयावधि में पूरी कर ली जाएंगी। उनकी अपनी की गई घोषणाओं में से 57 प्रतिशत साकार रूप ले चुकी हैं। बाकी भी तय वक्त में पूरी कर ली जाएंगी। वह बोलने में कम और करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं क्योंकि काम बोलता है। कुर्सी पर बैठकर ‘ज्ञान’ बघारने का ढर्रा अब खत्म किये जाने का वक्त आ गया है।
सूत्रों के अनुसार मंथन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्पष्ट संदेश दिया दिया कि प्रदेशभर में विकास कार्यों में भी जीरो टॉलरेंस की नीति ही उनका संकल्प है। जिसमें कोई भी लापरवाही या मनमानी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। अब तक चली आ रही परिपाटी को बदलना ही होगा। इस दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के ही विधायकों के इन आरोपों पर कि अफसर उनकी उपेक्षा करते हैं, मुख्यमंत्री ने अफसरों इस मनमाने रवैये पर लगाम कसने के संकेत दे दिये हैं। मंथन के दौरान विधायकों के प्रति अफसरशाही पर मनमानी के आरोप से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा और अपमान किसी भी कीमत बर्दाश्त नहीं किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि आम जनता की तमाम उम्मीदें जनप्रतिनिधियों पर ही टिकी होती हैं। स्थानीय जनता अपने क्षेत्र के मंत्री, विधायक या अन्य किसी जनप्रतिनिधि के सामने ही अपनी समस्याओं और शिकायतों को रखती है। इसलिये जनप्रतिनिधियों के सम्मान को बरकरार रखे जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। भले ही जनप्रतिनिधि भाजपा का हो या अन्य किसी दल का, सबका सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। इस दौरान सरकार ने तीन वर्ष में हासिल की गई उपलब्धियों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, वन आदि विभागों को लेकर गंभीरता से मंथन हुआ। जिसके सार्थक परिणाम जल्द ही देखने को मिलेंगे। हर बृहस्पतिवार को सारे मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री विधानसभा में बैठकर चल रहे विकास कार्यों को पूरी गति देने का प्रयास किया जाएगा और भावी विकास कार्यों की रूपरेखा बनाई जाएगी।