‘संदिग्ध’ दारोगा बोला- खतरे में जिंदगी!

विकास दुबे कांड

  • ‘संदिग्ध’ दारोगा केके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख, जान को खतरा बताते हुए की सुरक्षा की मांग
  • 10 जुलाई को यूपी लाते वक्त कानपुर के नजदीक एनकाउंटर में विकास दुबे को कर दिया गया था ढेर
  • विकास दुबे एनकाउंटर के बाद कुछ लोगों ने इसे सही ठहराया तो कुछ लोगों ने सवाल भी खड़े किए

कानपुर। जिले के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या के बाद कुख्यात अपराधी विकास दुबे को भी 10 जुलाई को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। इस मामले में पुलिसकर्मियों की विकास दुबे के साथ संलिप्तता भी सामने आई। आनन-फानन चौबेपुर थाने के एसएचओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा को निलंबित करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था।
उन पर आरोप था कि 3 जुलाई को पुलिसकर्मियों ने विकास दुबे को छापेमारी की सूचना पहले ही दे दी थी। वहीं अब मामले में केके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उनका कहना है कि उनकी जिंदगी को खतरा है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के इंतजाम जरूरी हैं। यही नहीं, उन्होंने 3 जुलाई की घटना, दुबे की हत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
कानपुर मामले में जांच को लेकर एसआईटी अपने काम में जुट गई है। एसआईटी की टीम आज रविवार को बिकरू गांव पहुंची थी। बता दें कि विकास दुबे के मददगार पुलिस अफसरों, नेताओं को बचाने के विपक्षियों के आरोपों से घिरी राज्य सरकार ने कानपुर के बिकरू कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी में एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रविंदर गौड़ शामिल हैं। एसआईटी 31 जुलाई तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। टीम जांच में विकास और उसके गैंग के सबसे करीबी लोगों की एक साल की कॉल डीटेल खंगालेगी। एसआईटी जांच से बीते एक साल से कानपुर में तैनात रहे पुलिस और प्रशासन के अफसरों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि इतने कुख्यात अपराधी, जिस पर 60 से ज्यादा गंभीर मुकदमे हों, उसकी समीक्षा का जिम्मा इलाके के सिपाही से लेकर जोन के एडीजी के ऊपर होता है। यह बात जाहिर है कि विकास दूबे और उसका गैंग वर्षों से इलाके में दहशत का पर्याय बना था, लेकिन किसी भी स्तर से उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई

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