जेट के संकट पर माल्या ने पूछा
- सरकार की नीति पर भी उठाये सवाल,कहा— एयर इंडिया को बचाने के लिए सरकारी खजाने से दिए जा चुके हैं 35 हजार करोड़ रुपये
- उधर डूबती जा रही हैं देश को गौरवान्वित करने वाली प्राइवेट एयरलाइंस कंपनियां
- लंदन में रह रहे माल्या ने ट्वीट कर जेट की संस्थापक दंपति नरेश और अनिता गोयल के प्रति जताई सहानुभूति
भारत की निजी एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज की हालत अपनी किंगफिशर एयरलाइन जैसी होती देख विजय माल्या ने सवाल दागा है कि आखिर भारत में इतनी ज्यादा एयरलाइंस कंपनियां क्यों फेल हो गईं?
अभी लंदन में रह रहे किंगफिशर एयरलाइन के मालिक रहे विजय माल्या ने कई ट्वीट किए और जेट एयरवेज व इसकी संस्थापक दंपति नरेश गोयल और अनिता गोयल के प्रति सहानुभूति जताई। माल्या ने अपने ट्वीट में कहा, ‘भले ही हम कड़े प्रतिद्वंद्वी रहे हों, लेकिन मेरे मन में नरेश और नीता (अनिता) गोयल के प्रति सहानुभूति है जिन्होंने जेट एयरवेज बनाया। जिस पर भारत को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। इतनी अच्छी एयरलाइन खास महत्वपूर्ण रूटों पर उड़ानें मुहैया करा रही है और अच्छी सेवा दे रही है। भारत में इतनी ज्यादा एयरलाइंस कंपनियों को धराशायी होना पड़ा जो बेहद दुखदायी है। लेकिन ऐसा क्यों हुआ?’
माल्या ने सरकारी की नीति पर भी सवाल उठाया। उसने लिखा, ‘भले ही जेट, किंगफिशर की बड़ी प्रतिस्पर्धी रही हो, लेकिन मुझे इतनी बड़ी निजी एयरलाइन को असफलता के मुहाने पर खड़ा देख बुरा लग रहा है क्योंकि सरकार एयर इंडिया को घाटे से उबारने के लिए सरकारी खजाने से 35 हजार करोड़ रुपये दे चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई की आड़ में भेदभाव को उचित नहीं ठहराया जा सकता।’
आज सुबह किए कई ट्वीट्स में माल्या ने फिर से बैंकों के कर्ज चुकाने की बात कही। उसने एक ट्वीट में लिखा, ‘मैंने किंगफिशर में बड़ी रकम निवेश की थी जिससे वह जल्द ही भारत की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी एयरलाइन बन गई थी। हां, यह सही है कि किंगफिशर ने बैंकों से कर्ज लिए थे। मैंने 100 प्रतिशत चुकाने का ऑफर भी दिया, लेकिन जवाब में मुझ पर अपराधी होने का ठप्पा लगा दिया गया। क्या एयरलाइन कंपनी बनाने के कारण ऐसा हुआ?’