उत्तराखंड : त्रिवेंद्र के खिलाफ सालभर पहले की खबर को ताजा बता किया वायरल!

ऐसी शर्मनाक हरकतों से उत्तराखंडी आहत

  • मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया में उनकी छवि धूमिल करने के लिये अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे फर्जी और मनगढ़ंत खबरें चलाने वाले
  • सोशल मीडिया पर एक साल पुरानी खबर का हवाला देकर किया जा रहा शेयर, जिसमें मनोनीत नेताओं को तिगुना वेतन देने का ऐलान
  • इसके उलट मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी जंग में नौकरशाहों और अन्य शाही खर्चों पर चलाई कैंची और सरकारी खर्चों पर कसी लगाम

देहरादून। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सोशल मीडिया में उनकी छवि धूमिल करने के लिये फर्जी और मनगढ़ंत खबरें चलाने वाले अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। एक ओर जहां त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी जंग में नौकरशाहों और अन्य शाही खर्चों पर एकदम कैंची चला दी है और मुख्यमंत्री इस तरह के इंतजाम में जुटे हैं जिससे किसी भी सरकारी विभाग में एक पैसे की भी फिजूलखर्ची न हो सके, वहीं आजकल सोशल मीडिया पर एक साल पुरानी खबर का हवाला देकर शेयर की जा रही है जिसमें मनोनीत नेताओं को तिगुना वेतन देने की घोषणा करना बताया जा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि इस खबर को इस तरह के से प्रसारित किया जा रहा है कि जैसे इस कोरोना काल में ही त्रिवेंद्र सरकार ने इसकी घोषणा की हो। जबकि सच्चाई इसके एकदम उलट है। सरकार की यह घोषणा लगभग एक साल पुरानी है और अखबार में भी यह खबर एक साल ही छपी थी। वर्तमान में त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी खर्चों पर लगाम कसते हुए कोरोना काल में कई निर्देश जारी किए हैं। जिसमें सरकार विभागीय स्तर पर कम से कम और बेहद जरूरी होने पर खर्च करने की बात कर रही है। उसमें विधायकों की 30% सैलरी काटने के फैसले के साथ साथ विधायक निधि में कटौती इसके अलावा विभागीय स्तर पर कई तरीके के आदेश किए गए हैं। साल भर पुरानी इस खबर को त्रिवेंद्र रावत के घोर विरोधी और स्टिंग किंग के नाम से मशहूर उमेश जे कुमार सहित वेद बड़ोला नाम के एक शख्स ने भीअपनी फ़ेसबुक वॉल पर लगाया है।

इस कोरोना महामारी के चलते जिस तरह से सरकारी खजाने में राजस्व की आमद कम हुई है, उसके बाद सरकार को एक कड़े फैसले लेने पड़े हैं लेकिन सरकार के इन कड़े फैसलों की सराहना करने के बजाय कुछ शरारती तत्व एक साल पुरानी खबर को प्रचारित करने में लगे हैं और लोगों के बीच भ्रम फैलाने के दुष्प्रचार में जुटे हैं। जिससे उनकी नीयत पर सवाल उठने लगे हैं।

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