वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिए बंद हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट

रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज सोमवार को वृश्चिक लग्न में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए सुबह 8:30 बजे बंद कर दिए गए। जिसके बाद शीतकाल छह माह के लिए ओंकारेश्वर ऊखीमठ मंदिर में भगवान मद्महेश्वर की पूजा की जाएगी। कपाट बंद होने के अवसर पर मद्महेश्वर मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी व फूल-मालाओं से सजाया गया है। सुबह पांच बजे से मद्महेश्वर मंदिर में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई। भगवान का शृंगार कर आरती व भोग लगाया गया। साथ ही स्वयंभू लिंग को पुष्प, अक्षत व भस्म से समाधि रूप देकर पूजा की गई। इसके बाद सुबह 7.30 बजे बाबा की भोग मूर्तियों को गर्भगृह से निकालकर चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर सभामंडप में लाया गया। यहां पर धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ बाबा की चल उत्सव डोली ने मंदिर परिसर में मौजूद अपने ताम्रपात्रों और भंडार का निरीक्षण किया। सुबह 8:30 बजे मंदिर के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। जिसके बाद बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए देवदर्शनी, कटरा, खुन्नू, बणतोली होते हुए डोली दोपहर को रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी। वहां पर ग्रामीणों द्वारा आराध्य को सामूहिक अर्घ्य लगाया जाएगा। यहां पर रात्रि जागरण भी किया जाएगा। जिसके बाद डोली 25 को ओंकारेश्वर ऊखीमठ मंदिर में छह माह की पूजा के लिए विराजमान हो जाएगी।
द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के आगमन पर 25 नवंबर को रुद्रप्रयाग जिले में ओंकारेश्वर मंदिर का रंग-रोगन कर सजाया गया है। इसके साथ ही तीन दिवसीय मदमहेश्वर मेला भी 24 नवंबर से शुरू होगा। बाबा द्वितीय केदार के ओंकारेश्वर मंदिर आगमन पर 25 नवंबर को रुद्रप्रयाग जिले में डीएम द्वारा जिला स्तरीय अवकाश भी घोषित किया गया है।

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