त्रिवेंद्र के फैसले पर तीरथ के बाद अब धामी ने भी लगाई मुहर!

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का मामला

  • प्रबंधन बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितों की निगाहें बैठक पर लगी रहीं बैठक पर
  • तीर्थ पुरोहितों की उम्मीद को झटका, बैठक में बोर्ड को भंग करने के मुद्दे पर नहीं हुई चर्चा

देहरादून। बहुप्रतीक्षित चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की बैठक में बोर्ड को भंग करने के मुद्दे पर चर्चा होने की आस लगाये तीर्थ पुरोहितों की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। बोर्ड बैठक में यह मुद्दा ही सिरे से गायब रहा। वे अपने आंदोलन को लेकर कोई न कोई निर्णय होने की उम्मीद कर रहे थे। 
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के पीछे कारणों में से एक देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन को भी बताकर मीडिया में खूब उछाला गया था। अब जाकर सबकी समझ में आ रहा है कि उन कारणों में कम से कम यह कारण तो बिल्कुल नहीं था।  हालांकि जब उनके बाद तीरथ सिंह रावत ने सीएम की कुर्सी संभाली थी तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर इस मुद्दे को हवा दी थी और देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत को लगने लगा था कि उनकी मुहिम रंग ला रही है। देर सबेर तीरथ सरकार देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर पिछली व्यवस्था को बहाल कर देगी। मात्र तीन माह में नाटकीय परिस्थितियों में तीरथ की विदाई के बाद देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने फिर बोर्ड गठन के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की थी और उन्हें लग रहा था कि धामी सरकार उनके पक्ष में फैसला सुना सकती है। अब बोर्ड बैठक की भावी रणनीति सामने आने से यह बात स्पष्ट हो गई है कि कोई भी भाजपा सरकार त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले को बदलने नहीं जा रही है।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की अचानक बैठक बुलाई थी। बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितों की निगाहें बैठक पर लगी रहीं, लेकिन बोर्ड बैठक में तीर्थ पुरोहितों की मांग पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। जिससे उन्हें करारा झटका लगा है और त्रिवेंद्र के इस ऐतिहासिक फैसले की अहमियत भी समझ में आ रही है। 
हालांकि दूसरी ओर तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आंदोलन के पीछे कांग्रेस के लोगों का हाथ बताया तो वह तीर्थ पुरोहितों के निशाने पर आ गए। उधर कांग्रेस ने भी त्रिवेंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सीएम की कुर्सी से हट जाने के बाद से वह बौखलाहट में हैं।
इस बाबत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री के पद से हट गए हैं, वह अब बौखलाहट में हैं। जब विधानसभा विधेयक लाया गया तो कांग्रेस ने सरकार से आग्रह किया था कि इस पर पुनर्विचार कर लिया जाए, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने विपक्ष के अनुरोध को नहीं माना।
बैठक के बाद अब देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार के दबाव में सरकार चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार से बच रही है। देवस्थानम बोर्ड पर ठोस निर्णय न लेने से चार धामों के तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों में नाराजगी है। 
महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने कहा कि हाल ही में चार धामों के तीर्थ पुरोहितों व हक हकूकधारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। इस पर सीएम ने तीर्थ पुरोहितों को दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा था। तीर्थ पुरोहितों की ओर से दस्तावेज भी सीएम कार्यालय को दिए गए हैं। तीर्थ पुरोहितों व हकहकूकधारियों को उम्मीद थी कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बैठक में सरकार फैसला ले सकती है। बैठक में पुनर्विचार को लेकर कोई ठोस निर्णय न लेने से लगता है सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है।

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